Punjab
पंजाब के छटे वेतन आयोग द्वारा सभी सरकारी मुलाजिमों को पहली जनवरी 2016 से बड़े तोहफे का प्रस्ताव
वेतन और पैनशनों में औसतन 20 प्रतिशत विस्तार होगा, वेतन करीब 2.59 गुणा बढ़ेंगे
कम से कम वेतन बढ़ा कर 18000 रुपए प्रति महीना तक करने की सिफारिश, बड़े भत्तों में संजीदा वृद्धि
मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को रिपोर्ट का अध्ययन करने और इसी महीने कैबिनेट में लाने के दिए आदेश
चंडीगढ़, 4 मई
सरकारी मुलाजिमों को बड़े तोहफे के तौर पर पंजाब सरकार के छटे वेतन आयोग ने सभी मुलाजिमों के वेतनों में दोगुने से अधिक वृद्धि की सिफारिश की है। इसके साथ ही कम से कम वेतन 6950 रुपए से बढ़ा कर 18000 रुपए प्रति महीना करने की सिफारिश की है। यह पहली जनवरी, 2016 से लागू होगा।
आयोग ने वेतन और अन्य बड़े फायदों में भारी वृद्धि की सिफारिश की है और सरकारी मुलाजिमों के भत्तों में अच्छी वृद्धि का भी सुझाव दिया है। मुलाजिमों के वेतन और पैनशनों में औसतन विस्तार 20 प्रतिशत के करीब होने की संभावना है। पाँचवे वेतन आयोग की सिफारशों की अपेक्षा वेतनों में 2.59 गुणा विस्तार है। सभी छटे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कुछ भत्तों में रैसनेलाईजेशन के साथ बड़े भत्तों को डेढ़ से दोगुने वृद्धि का प्रस्ताव है।
रिपोर्ट जो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को हाल ही में सौंपी गई थी, विस्तार में अध्ययन के लिए वित्त विभाग को भेज दी गई है और साथ ही यह भी निर्देश दिए हैं कि इस पर अगली करवाई के लिए इसी महीने कैबिनेट में पेश किया जाये। विधान सभा में सरकार की वचनबद्धता के मुताबिक रिपोर्ट इस साल पहली जुलाई से लागू की जानी है।
संयोगवश यह रिपोर्ट उस समय आई है जब कोविड के चलते राज्य की आर्थिकता पहले ही बुरे हालात में है वित्तीय स्थिति संकट में है। टैक्सों में विस्तार नहीं किया गया और यहाँ तक कि जी.एस.टी. मुआवजें भी अगले साल के अंत तक खत्म होना है। वित्त विभाग अगली कार्यवाही के लिए कैबिनेट में रिपोर्ट पेश करने से पहले इसको लागू करने के अलग-अलग प्रभावों की जांच करेगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार छटे वित्त आयोग के सुझावों की स्कीम अनुसार पैनशनें और डी.ए. में प्रभावशाली वृद्धि का प्रस्ताव है जबकि पक्के मैडीकल भत्ते और डेथ कम रिटायरमेंट ग्रैच्युटी दोगुनी करने का प्रस्ताव है। मुलाजिमों के साथ पैनशनरों के लिए एक ही जैसे 1000 रुपए मैडीकल भत्ते का प्रस्ताव है। डेथ कम रिटायरमेंट ग्रैच्युटी को 10 लाख रुपए से बढ़ा कर 20 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है।
सरकारी कर्मचारी की मौत की सूरत में एक्स ग्रेशिया ग्रंाट की दरों में वृद्धि और मौत की स्थिति में कर्मचारी को लाभ देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सिफारिश की है। महामारी के संकट के चलते यह बहुत अहम है क्योंकि बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी फ्रंटलाईन वर्कर के तौर पर काम कर रहे हैं और कईयों की ड्यूटी करते हुये मौत भी हो गई है।
आयोगने इंजीनियरिंग स्टाफ को डिजाइन भत्ता और पुलिस मुलाजिमों को किट संभाल भत्ता दोगुना करन और साथ ही मोबाइल भत्ता 375 रुपए से 750 रुपए करन का सुझाव भी दिया है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि वेतन और पैंशन सम्बन्धी सिफारिशों को लागू करने की सिफारिश 01.01.2016 से गई है जबकि भत्तों से सम्बन्धित सिफारिशों को सरकार द्वारा नोटिफिकेशन की तारीख से लागू करने की सिफारिश की गई है। उन्होंने आगे कहा कि आयोग की सिफारिशों को 01.01.2016 से लागू करने से संभावित तौर पर 3500 करोड़ रुपए सालाना अतिरिक्त खर्चा होगा।
आयोग ने आगे सिफारिश की है कि केंद्रीय तर्ज पर महँगाई भत्ते की मौजूदा प्रणाली को जारी रखना चाहिए और हर बार सूचकांक में 50 प्रतिशत वृद्धि के साथ महँगाई भत्ते को महँगाई वेतन में तबदील किया जाना चाहिए और इसको सेवामुक्ति के लाभ समेत सभी उद्देश्यों के लिए माना जाना चाहिए। आयोग ने पैनशनों के लिए 2.59 के साधारण कारक का प्रयोग के संशोधन सम्बन्धी सुझाव दिया है। इसके इलावा आयोग की सिफारिशों अनुसार योग्यता पूरी करते हुये सेवाओं के 25 साल पूरे होने पर पैंशन के तौर पर आखिरी वेतन के 50 प्रतिशत का भुगतान जारी रखना चाहिए।
सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पे मैट्रिक्स को आसान, पारदर्शी और आसान बनाने की सिफ़ारिश करने के अलावा आयोग ने सुझाव दिया है कि पैनशनरों और पारिवारिक पैनशनरों के लिए 65 साल की उम्र से 5 साल के मौजूदा अंतराल पर बुढ़ापा भत्ता संशोधित पैंशन अनुसार जारी रखना चाहिए। आयोग ने पैंशन की कम्यूटेशन 40 प्रतिशत तक बहाल रखने की सिफ़ारिश भी की है।
हालाँकि मकान के किराये भत्ते (एच आर ए) के लिए शहरों के मौजूदा वर्गीकरण को कायम रखने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें इस भत्ते की रैशनेलाईज़ेशन मौजूदा दरों के 0.8 प्रतिशत के हिसाब से तरतीब देकर मूल वेतन के फीसद के तौर पर तय की जानी है, आयोग ने यह सिफ़ारिश की है कि भत्ते सम्बन्धी कई नयी श्रेणियां शुरू की जाएँ जिनमें उच्च शिक्षा भत्ता भी शामिल हो जोकि और ज्यादा उच्च योग्यता हासिल करने वाले समूह मुलाजिमों के लिए एक मुश्त दर के रूप में हो।
रैशनेलाईजेशन प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर आयोग ने किसी भी नाम अधीन मूल वेतन के साथ अतिरिक्त तौर पर कुछ जोडऩे और सभी प्रकार के विशेष वेतन ख़त्म कर देने की सिफ़ारिश की है। आयोग की तरफ से 2011 में कैबिनेट सब-कमेटी की सिफारिशों पर किये गए बदलाव भी रैशनेलाईज़ कर दिए गए हैं।
यह आयोग, जिसको 24 फरवरी 2016 को उस समय की सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था, ने अपनी रिपोर्ट 30 अप्रैल, 2021 को पेश कर दी थी। इसके चेयरमैन सेवामुक्त आई.ए.एस. अधिकारी जय सिंह गिल हैं जबकि डी.एस. कल्हा मैंबर और एस.एस. राजपूत मैंबर सचिव हैं।
आयोग ने वेतन और अन्य बड़े फायदों में भारी वृद्धि की सिफारिश की है और सरकारी मुलाजिमों के भत्तों में अच्छी वृद्धि का भी सुझाव दिया है। मुलाजिमों के वेतन और पैनशनों में औसतन विस्तार 20 प्रतिशत के करीब होने की संभावना है। पाँचवे वेतन आयोग की सिफारशों की अपेक्षा वेतनों में 2.59 गुणा विस्तार है। सभी छटे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कुछ भत्तों में रैसनेलाईजेशन के साथ बड़े भत्तों को डेढ़ से दोगुने वृद्धि का प्रस्ताव है।
रिपोर्ट जो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को हाल ही में सौंपी गई थी, विस्तार में अध्ययन के लिए वित्त विभाग को भेज दी गई है और साथ ही यह भी निर्देश दिए हैं कि इस पर अगली करवाई के लिए इसी महीने कैबिनेट में पेश किया जाये। विधान सभा में सरकार की वचनबद्धता के मुताबिक रिपोर्ट इस साल पहली जुलाई से लागू की जानी है।
संयोगवश यह रिपोर्ट उस समय आई है जब कोविड के चलते राज्य की आर्थिकता पहले ही बुरे हालात में है वित्तीय स्थिति संकट में है। टैक्सों में विस्तार नहीं किया गया और यहाँ तक कि जी.एस.टी. मुआवजें भी अगले साल के अंत तक खत्म होना है। वित्त विभाग अगली कार्यवाही के लिए कैबिनेट में रिपोर्ट पेश करने से पहले इसको लागू करने के अलग-अलग प्रभावों की जांच करेगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार छटे वित्त आयोग के सुझावों की स्कीम अनुसार पैनशनें और डी.ए. में प्रभावशाली वृद्धि का प्रस्ताव है जबकि पक्के मैडीकल भत्ते और डेथ कम रिटायरमेंट ग्रैच्युटी दोगुनी करने का प्रस्ताव है। मुलाजिमों के साथ पैनशनरों के लिए एक ही जैसे 1000 रुपए मैडीकल भत्ते का प्रस्ताव है। डेथ कम रिटायरमेंट ग्रैच्युटी को 10 लाख रुपए से बढ़ा कर 20 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है।
सरकारी कर्मचारी की मौत की सूरत में एक्स ग्रेशिया ग्रंाट की दरों में वृद्धि और मौत की स्थिति में कर्मचारी को लाभ देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सिफारिश की है। महामारी के संकट के चलते यह बहुत अहम है क्योंकि बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी फ्रंटलाईन वर्कर के तौर पर काम कर रहे हैं और कईयों की ड्यूटी करते हुये मौत भी हो गई है।
आयोगने इंजीनियरिंग स्टाफ को डिजाइन भत्ता और पुलिस मुलाजिमों को किट संभाल भत्ता दोगुना करन और साथ ही मोबाइल भत्ता 375 रुपए से 750 रुपए करन का सुझाव भी दिया है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि वेतन और पैंशन सम्बन्धी सिफारिशों को लागू करने की सिफारिश 01.01.2016 से गई है जबकि भत्तों से सम्बन्धित सिफारिशों को सरकार द्वारा नोटिफिकेशन की तारीख से लागू करने की सिफारिश की गई है। उन्होंने आगे कहा कि आयोग की सिफारिशों को 01.01.2016 से लागू करने से संभावित तौर पर 3500 करोड़ रुपए सालाना अतिरिक्त खर्चा होगा।
आयोग ने आगे सिफारिश की है कि केंद्रीय तर्ज पर महँगाई भत्ते की मौजूदा प्रणाली को जारी रखना चाहिए और हर बार सूचकांक में 50 प्रतिशत वृद्धि के साथ महँगाई भत्ते को महँगाई वेतन में तबदील किया जाना चाहिए और इसको सेवामुक्ति के लाभ समेत सभी उद्देश्यों के लिए माना जाना चाहिए। आयोग ने पैनशनों के लिए 2.59 के साधारण कारक का प्रयोग के संशोधन सम्बन्धी सुझाव दिया है। इसके इलावा आयोग की सिफारिशों अनुसार योग्यता पूरी करते हुये सेवाओं के 25 साल पूरे होने पर पैंशन के तौर पर आखिरी वेतन के 50 प्रतिशत का भुगतान जारी रखना चाहिए।
सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पे मैट्रिक्स को आसान, पारदर्शी और आसान बनाने की सिफ़ारिश करने के अलावा आयोग ने सुझाव दिया है कि पैनशनरों और पारिवारिक पैनशनरों के लिए 65 साल की उम्र से 5 साल के मौजूदा अंतराल पर बुढ़ापा भत्ता संशोधित पैंशन अनुसार जारी रखना चाहिए। आयोग ने पैंशन की कम्यूटेशन 40 प्रतिशत तक बहाल रखने की सिफ़ारिश भी की है।
हालाँकि मकान के किराये भत्ते (एच आर ए) के लिए शहरों के मौजूदा वर्गीकरण को कायम रखने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें इस भत्ते की रैशनेलाईज़ेशन मौजूदा दरों के 0.8 प्रतिशत के हिसाब से तरतीब देकर मूल वेतन के फीसद के तौर पर तय की जानी है, आयोग ने यह सिफ़ारिश की है कि भत्ते सम्बन्धी कई नयी श्रेणियां शुरू की जाएँ जिनमें उच्च शिक्षा भत्ता भी शामिल हो जोकि और ज्यादा उच्च योग्यता हासिल करने वाले समूह मुलाजिमों के लिए एक मुश्त दर के रूप में हो।
रैशनेलाईजेशन प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर आयोग ने किसी भी नाम अधीन मूल वेतन के साथ अतिरिक्त तौर पर कुछ जोडऩे और सभी प्रकार के विशेष वेतन ख़त्म कर देने की सिफ़ारिश की है। आयोग की तरफ से 2011 में कैबिनेट सब-कमेटी की सिफारिशों पर किये गए बदलाव भी रैशनेलाईज़ कर दिए गए हैं।
यह आयोग, जिसको 24 फरवरी 2016 को उस समय की सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था, ने अपनी रिपोर्ट 30 अप्रैल, 2021 को पेश कर दी थी। इसके चेयरमैन सेवामुक्त आई.ए.एस. अधिकारी जय सिंह गिल हैं जबकि डी.एस. कल्हा मैंबर और एस.एस. राजपूत मैंबर सचिव हैं।