*विजीलैंस ने पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत और उसके साथियों को संगठित भ्रष्टाचार करने के मामले किया गिरफ्तार*
चंडीगढ़, 07 जूनः
यह प्रगटावा करते हुये आज यहाँ विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि भ्रष्टाचार केस के अंतर्गत एफ.आई.आर. नं. 06 तारीख़ 2/6/2022 भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7, 7-ए, और आइपीसी की धारा 120-बी के अधीन गुरमनप्रीत सिंह, ज़िला वन अफ़सर, मोहाली और हरमोहेन्दर सिंह उर्फ हमी, प्राईवेट ठेकेदार, ने कोलोनाईज़र दविन्दर सिंह संधू से न्यू चण्डीगढ़, मोहाली के आसपास अपनी कंपनी डब्लयू.डब्लयू.आई.सी.एस की तरफ से विकसित किये फार्म हाऊसों को न तोड़ने के बदले रिश्वत मांगने और लेने के दोष के तहत दर्ज किया गया था। दोनों दोषियों को 02.06.2022 को गिरफ़्तार किया गया था और पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया है कि राजनैतिक नेताओं और उनके साथियों और राज्य के वन विभाग के अधिकारियों के बीच 2017 से आपसी सांठगांठ थी और संगठित रूप में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें प्रचलित थी।
उन्होंने आगे बताया कि जाँच के दौरान मुलजिम हरमोहेन्दर सिंह उर्फ हमी ने इंडियन ऐवीडैंस एक्ट की धारा 27 के अंतर्गत दर्ज करवाए अपने बयानों में बताया कि साल 2017 से समय-समय पर वह वन विभाग के सीनियर अधिकारियों, राजनैतिक नेताओं और उनके सहायकों को दी रिश्वत का लेखा -जोखा रखने के लिए एक हस्थ लिखित डायरी रखता था। उक्त डायरी उसके स्थान से बरामद की गई थी। डायरी की सामग्री की आलोचना और जांच से दोषियों के ढंग-तरीकों का खुलासा हुआ है जिस कारण उनको गिरफ़्तार किया गया।
उन्होंने जानकारी देते आगे बताया कि हरमोहेन्दर सिंह उर्फ हमी अपनी फर्म गुरूहर एसोसिएट्स के नाम पर वन विभाग से कटाई के लिए अपेक्षित पर्मिट प्राप्त करके राज्य में ख़ैर के वृक्षों को काटने और बेचने का कारोबार करता था। उसने अक्तूबर-मार्च सीजन के लिए लगभग 7000 पेड़ काटने के लिए पर्मिट लिए थे, जिसके लिए उसे 1000/- प्रति वृक्ष, रिश्वत देनी पड़ी जिसमें से साधु सिंह धर्मसोत, पूर्व वन मंत्री को 500, रु. प्रति वृक्ष, डिविज़नल वन अफ़सर को 200 और रेंज अफ़सर, ब्लाक अफ़सर और वन गार्ड को क्रमवार 100-100 रुपए प्रति वृक्ष रिश्वत दी।
इसके इलावा मोहाली में 15 और ठेकेदार थे, जिनको भी उक्त ठेकेदार की तरह ही रिश्वत देनी पड़ी, नहीं तो उनको पर्मिट देने से इन्कार कर दिया गया या भारी जुर्माने की धमकी देकर परेशान किया जाता रहा। साधु सिंह धर्मसोत को अदायगी खन्ना के निवासी कमलजीत सिंह द्वारा की गई थी, जोकि एक पत्रकार और शिव सेना के प्रधान के तौर पर काम करता है और पंजाब पुलिस से सुरक्षा प्राप्त शख्स है। अमित चौहान के रोपड़ में बतौर डी.ऐफ.ओ. के कार्यकाल के दौरान उसने बड्यिली कलाँ, सब-डिविज़न श्री आनन्दपुर साहिब में 1160 वृक्षों की कटाई का पर्मिट 5,80,000 /- (रु. 500 प्रति वृक्ष) की रिश्वत देकर प्राप्त किया था।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि पूर्व मंत्री धर्मसोत, उनके ओऐसडी चमकौर सिंह और उपरोक्त मुलजिम कमलजीत सिंह के द्वारा डीऐफओ के तबादले के लिए 10/20 लाख रु., रेंजर के लिए 5/8लाख, ब्लाक अफ़सर और वन गार्ड के लिए 2/3 लाख रुपए की रिश्वत लेता था। इसके इलावा उन्होंने आगे कहा कि धर्मसोत ने वन मंत्री के तौर पर अपने तीन सालों के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपए इकठ्ठा किये। अपने ओ.ऐस.डी. कमलजीत सिंह के द्वारा ख़ैर के वृक्षों की कटाई के लिए पर्मिट जारी करने के बदले एक करोड़ रुपए लिए।
ज़िक्रयोग्य है कि अमित चौहान के रोपड़ में डी.ऐफ.ओ. के कार्यकाल के दौरान वह पंचायती ज़मीनों पर लगाए वृक्षों की संख्या कम दिखाते थे और बाकी रहते वृक्षों की कटाई की रकम ठेकेदारों के साथ सांझा करते थे, जिससे पंचायतों के फंडों का नुक्सान होता था। वह उक्त कमलजीत सिंह को भी नाजायज माइनिंग करवाने के लिए छूट देता था। इसके इलावा धर्मसोत अपने ओऐसडी चमकौर सिंह और कमलजीत सिंह के द्वारा वन ज़मीनों पर रास्ते के बदले एनओसी जारी करने के लिए कालोनाईजरों, नये बने फीलिंग स्टेशनों, नये प्रोजेक्टों के मालिकों और होटलों और रैस्टोरैंटों से रिश्वत लेता था।
विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि हरमोहेन्दर सिंह ठेकेदार ने पूर्व वन मंत्री संगत सिंह गिलजियां को मोहाली जिले के गाँव नाडा में ख़ैर के वृक्षों की कटाई का पर्मिट जारी करवाने के लिए कुलविन्दर सिंह के द्वारा 5लाख रुपए रिश्वत दी थी। उसने रेंज अफ़सर, ब्लाक अफ़सर और गार्ड को भी रिश्वत दी थी। पूर्व मंत्री गिलजियां ने अपने कार्यकाल के दौरान हरमोहेन्दर सिंह ठेकेदार की पंजाब के डीएफओज़ के साथ मीटिंग करवाई थी और हिदायत की थी कि पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्डों की खरीद सिर्फ़ सचिन कुमार से ही की जायेगी। एक ट्री-गार्ड की कीमत 2800 थी जिसमें से गिलजियां का हिस्सा रिश्वत के तौर पर 800 प्रति वृक्ष था। उस समय कुल 80000 ट्री-गार्ड ख़रीदे गए थे और गिलजियां ने 6,40,00,000/- रिश्वत के तौर पर इकठ्ठा किये थे।
उन्होंने बताया कि इस मुहिम का ठेका एक लिहाज़दार ठेकेदार को दिया गया था, जो पौधों की कीमत उस नरसरी के खाते में जमा करवा देता था, जिससे पौधे ख़रीदे जाने थे। परन्तु ठेकेदार बिना कोई पौधा ख़रीदे बाकी 20 प्रतिशत नरसरी के पास छोड़ कर 80 प्रतिशत नकदी वापस ले लेता था। यह पैसा फिर वन अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच बांटा जाता था। वन अधिकारियों ने धोखे से वन क्षेत्र में लगाई पुरानी कंटीली तारों को कंडम करार दिया और महंगे भाव पर नयी कंटीली तारें खरीदने के आदेश दिए। हालाँकि, पुरानी कंडम तारें जिनको स्टोर में जमा करना पड़ता था, कभी भी बदला नहीं गया था।
ज़िक्रयोग्य है कि मोहाली के वन अधिकारी रिश्वत के बदले जिले की पहाड़ियों के कुदरती रास्ते को लैवल करवा देते थे। कुछ समय पहले मोहाली के गाँव नाडा में दिलप्रीत सिंह, वन गार्ड और अन्य वन अधिकारियों की मिलीभुगत से पक्की सड़क बनाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र को लैवल किया गया था। एस.एस गिलजियां के कार्यकाल के दौरान अमित चौहान को डीऐफओ रोपड़ नियुक्त किया गया था। उस समय बेला के नजदीक गाँव जिन्दा में 486 एकड़ ज़मीन में से एक महीने में ही नाजायज माइनिंग की गई। गाँव में करीब 50 फुट गहरे गड्ढे खोदे गए थे। उन्होंने कहा कि सरपंचों की मिलीभुगत से 40 /50 करोड़ रुपए की ग़ैर-कानूनी माइनिंग की गई थी, जिनमें से एक राजा का नाम एफआईआर में दर्ज किया गया था, जो बाद में रद्द कर दिया गया था।