‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,आरक्षण के कट्टर समर्थक” —- सह- सरकार्यवाह होसबाले
नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस ने आरएसएस द्वारा आरक्षण के समर्थन में बयान की सराहना
सदियों से असमानता के बावजूद अनुसूचित जाति समुदाय के योगदान पर गर्व होना चाहिए – कैंथ
चंडीगढ़, अगस्त 14: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सह -सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले की इस सप्ताह की शुरुआत में ‘आरक्षण एक ऐतिहासिक आवश्यकता के रूप में ‘‘आरएसएस आरक्षण नीति के कट्टर समर्थक होने” के बारे में टिप्पणी पर टिप्पणी करते हुए, परमजीत सिंह कैंथ, राष्ट्रीय अध्यक्ष नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस ने आज बयान की सराहना की। श्री होसाबले ने कहा, ‘‘आरक्षण सकारात्मक कार्रवाई का जरिया है और इसे तब तक जारी रहना चाहिए जब तक समाज का एक विशेष वर्ग ‘‘असमानता” का अनुभव करता है। भारत के इतिहास के दलितों के इतिहास के बगैर “अधूरा” होने का उल्लेख करते हुए होसबाले ने कहा कि वे सामाजिक परिवर्तन में अग्रणी रहे हैं।जब कई परिसरों में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन हुए, तो हमने एक प्रस्ताव पारित किया और पटना में आरक्षण के समर्थन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। वह मेकर्स ऑफ मॉडर्न दलित हिस्ट्री पुस्तक के विमोचन के लिए इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
भावना की सराहना करते हुए, श्री कैंथ ने कहा, “आरएसएस के एक शीर्ष नेता द्वारा जारी किया गया बयान विश्वसनीयता जोड़ता है। इस धारणा के लिए कि आरक्षण नीति सामाजिक न्याय और देश में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य हाशिए के समूहों के लिए समानता और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का एक जरिया है।होसबाले ने कहा, “भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है। उनके इतिहास के बिना, भारत का इतिहास अधूरा है।” आरक्षण की बात करते हुए होसबाले ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह और उनका संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ “आरक्षण के पुरजोर समर्थक हैं।”उन्होंने कहा, “सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक रणनीतियां नहीं हैं और ये दोनों हमारे लिए आस्था की वस्तु हैं।”
आरक्षण को “सकारात्मक कार्रवाई” का साधन बताते हुए होसबाले ने कहा कि आरक्षण और समन्वय (समाज के सभी वर्गों के बीच) साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में सामाजिक बदलाव का नेतृत्व करने वाली विभूतियों को “दलित नेता” कहना अनुचित होगा, क्योंकि वे पूरे समाज के नेता है ।
कोविड के संकट भरे इस समय में, हम आरएसएस के इस सुझाव का स्वागत करते हैं। समुदाय और उन्हें समाज में बराबरी का स्थान देना है। संविधान का अनुच्छेद १५(४) और १६(४) – सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ देता है और जो कोई भी समाज के लिए आरक्षण के विचार की अवहेलना करता है, वह स्पष्ट रूप से संविधान की अंतरात्मा से सहमत नहीं है ।‘‘
आरएसएस के सह-सरकार्यवाह ने भी कहा था, ‘‘दलित समुदाय के योगदान का गर्व से उल्लेख किए बिना, इस देश का राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक इतिहास होगा अधूरा, बेईमान और असत्य। दलित इतिहास और भारत का इतिहास दो अलग चीजें नहीं हैं। यदि हम भारत के सच्चे इतिहास को पढ़ने या लिखने के लिए अध्ययन करते हैं या हम भारत के इतिहास को समझने की कोशिश करते हैं, तो भारत का राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक इतिहास हमारे दलित समाज के योगदान पर चर्चा किए बिना पूरा नहीं होगा। नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस के पूरे कैडर के साथ-साथ अन्य संगठन जो अनुसूचित जाति समुदाय की समृद्धि के लिए काम करते हैं। मुझे उम्मीद है कि इससे आरक्षण नीति के बारे में आम जनता की धारणा में बदलाव आएगा और इसके महत्व को रेखांकित किया जाएगा। एक अधिक सामंजस्यपूर्ण समाज को एक साथ बुनना जहां हर कोई सम्मान और गर्व के साथ रह सके। सदियों से असमानता के बावजूद एससी समुदाय का योगदान गर्व की बात है और हमारी प्रेरणा बड़े पैमाने पर समाज के लिए बेहतर भविष्य के निर्माण की दिशा में है।
श्री कैंथ ने कहा कि अनुसूचित जातियों के बीच आरएसएस के खिलाफ निराशावादी और भ्रामक प्रचार का पर्दाफाश हो गया है। श्री कैंथ ने अनुसूचित जाति समुदाय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नीतिगत कार्यक्रमों में भाग लेने की अपील की ताकि बदलाव के सामने नकारात्मक सोच को त्यागकर दलितों मे पैदा हुए भ्रांतियों को दूर किया जा सके।