रणदीप सिंह सुरजेवाला, नवजोत सिंह सिद्धू व अलका लांबा का बयान : आमदनी न हुई दोगुनी दर्द सौ गुना
रणदीप सिंह सुरजेवाला, नवजोत सिंह सिद्धू व अलका लांबा का बयान
आमदनी न हुई दोगुनी दर्द सौ गुना
भारत के गरीब-मज़दूर-किसान ने मोदी जी के वायदों पर ऐतबार करके वोट दिया था, पर उन्होंने विश्वासघात किया। मोदी सरकार व भाजपा ने भारत के भाग्यविधाता अन्नदाता किसानों पर आघात किया है। उसे भारत कभी माफ़ नहीं करेगा।
छः साल होने को आए हैं जब श्री नरेंद्र मोदी ने 28 फ़रवरी, 2016 को बरेली, उत्तर प्रदेश की रैली में देश के किसानों से वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। अब 2022 है, आय तो दोगुनी हुई नहीं, दर्द सौ गुना जरूर हो गया।
छः साल बाद मोदी सरकार ने सितंबर, 2021 में NSSO की रिपोर्ट जारी कर बताया कि किसानों की औसत आय ₹27 प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज़ ₹74,000 प्रति किसान हो गया है।
मोदी सरकार व भाजपा का DNA ही किसान–मज़दूर विरोधी है:-
o मई, 2014 में सत्ता में आते ही भाजपा व मोदी सरकार किसानों की ज़मीन हड़पने के लिए, उनके ज़मीन के उचित मुआवज़ा कानून के खिलाफ़़ एक के बाद एक तीन अध्यादेश लेकर आई।
o फ़िर गेहूँ एवं धान पर राज्य सरकारों द्वारा दिया जाने वाला ₹150 का बोनस बंद करा दिया।
o फ़िर सुप्रीमकोर्ट में शपथपत्र देकर कहा कि MSP+50% दिया तो बाज़ार बर्बाद हो जाएगा।
o फ़िर कंपनियों के मुनाफ़े की फ़सल बीमा योजना लाए।
o फ़िर टैक्स पर टैक्स लगा खेती की लागत ₹25,000 हेक्टेयर बढ़ाई।
o फ़िर अपने मुट्ठीभर पूँजीपति दोस्तों के लिए खेती विरोधी तीन काले कानून लाए।
इतना ही नहीं, 700 किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। उनके सिर फोड़ने के आदेश देकर लहू-लुहान किया गया। उनके रास्ते में कील-काँटे बिछाए गए। इससे भी पेट नहीं भरा तो उन्हें लख़ीमपुर-ख़ीरी में देश के गृह राज्यमंत्री की जीप से रौंदकर मार डाला गया।
आइए सिलसिलेवार जानते हैंः–
- किसानों की बदहाली की कहानी मोदी सरकार की रिपोर्ट की जुबानी
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSSO) द्वारा ग्रामीण भारत में कृषि परिवारों की स्थिति को लेकर सितंबर, 2021 में जारी की गई रिपोर्ट में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है। किसान की आय तो दोगुनी हुई नहीं, उल्टा पाँच व्यक्तियों का परिवार प्रति व्यक्ति प्रति दिन मात्र ₹26.67 ही खेती से कमा रहा है।
कर्ज में आकंठ डूबा किसान
आमदनी बढ़ाने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने किसान को आकंठ कर्ज में डुबा दिया है। भारत के 50.2 प्रतिशत किसान कर्ज में डूबे हुए हैं, जिनका प्रति परिवार औसतन ऋण ₹74,121 है।
खेती से हुए दूर, किसान हैं मज़दूरी को मजबूर
इस रिपोर्ट में इस बात का चौंकानेवाला खुलासा हुआ है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान परिवार खेती की अपेक्षा मजदूरी करने को अधिक मजबूर हैं। किसानों को होने वाली आमदनी में 39.8 प्रतिशत हिस्सा वो प्रतिमाह मजदूरी से अर्जित कर रहे हैं और फसल उत्पादन से 37.2 प्रतिशत।
पशुपालन भी नहीं फायदे का सौदा
इस रिपोर्ट के अनुसार पशुपालन में लगा किसान-मज़दूर परिवार पशुपालन से औसत मात्र ₹16.24 प्रतिदिन ही कमा पाता है।
समर्थन मूल्य का सच
मोदी सरकार ने अपनी रिपोर्ट में खुद इस बात का खुलासा किया है कि धान और गेहूँ को छोड़कर कोई भी फसल MSP पर 6 प्रतिशत से अधिक नहीं खरीदी जाती। इतना ही नहीं, खुले बाजार में अच्छे दाम मिलने का दावा करने वाली मोदी सरकार की पोल खुल गई। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जनवरी, 2018 से दिसंबर, 2019 के बीच 0 से 0.5 प्रतिशत ही फसलों को समर्थन मूल्य से अधिक कीमत बाजार में मिली है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बाजार मूल्य तो MSP से भी कम था और 57.4 प्रतिशत किसानों को उस बाजार मूल्य (जो MSP से कम था) से भी कम दाम मिले हैं।
- समर्थन मूल्य पर मुट्ठीभर खरीद का सच आया सामने
भाजपा व मोदी सरकार पर्याप्त मात्रा में समर्थन मूल्य पर किसानों से अनाज नहीं खरीद रही। मोदी सरकार ने 14 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में बताया कि यदि धान और गेहूँ को छोड़ दिया जाए तो चना, मसूर, मुंग, तुअर, उड़द, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, मक्का इत्यादि फसलें मात्र 0.26% से लेकर 8.64% तक ही अनाज MSPपर खरीदा जा रहा है।
- ‘स्वामीनाथन’ बनाम‘मोदीनाथन’ का सचः
मोदी सरकार ने वादे के मुताबिक आज तक MSP स्वामीनाथन के अनुसार (C2+50%) किसानों को नहीं दिया। मनमाने तरीके से लागत बढ़ाई और किसानों की आमदनी पर डाका डाला। चूंकि मोदी सरकार ने 9 फ़रवरी, 2015 को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफ़ा नहीं दिया जा सकता, नहीं तो व्यापारी बरबाद हो जाएंगे।
- किसान सम्मान निधि में6,000 रु. दिए, लागत बढ़ाकर 25,000 रु. लूट लिए – सात सालों में किसानों से लूटे ₹17.50 लाख करोड़
मोदी सरकार ने 1 दिसंबर, 2018 से किसान सम्मान निधि योजना प्रारंभ की थी, जिसके तहत दो-दो हजार रु. की तीन किश्तों में 6,000 रु. प्रत्येक किसान के खाते में डालने की बात कही गई थी। इस योजना के तहत 11.61 करोड़ किसानों के खाते में यह पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है। जबकि एग्रीकल्चर सेंसस के अनुसार भारत में 14.65 करोड़ किसान हैं। अर्थात् अभी भी लगभग 3.04 करोड़ किसानों के खाते में यह राशि हस्तांतरित नहीं की जा रही।
मोदी सरकार ने एक तरफ सालाना 6,000 रु. प्रति किसान स्वांग किया, तो दूसरी तरफ सालाना 25,000 रु. प्रति हैक्टेयर जेब काटकर छीन लिए:-
o डीज़ल पर केंद्रीय एक्साईज़ ड्यूटी साल, 2014 में ₹3.56 प्रति लीटर से बढ़ाकर ₹31.80 प्रति लीटर कर दी। हाल में ही उपचुनाव हारने के बाद ₹10 प्रति लीटर कम तो किए गए पर आज भी डीज़ल पर एक्साईज़ ड्यूटी ₹21.80 प्रति लीटर है। यानि 2014 के मुकाबले में हर लीटर डीज़ल पर मोदी सरकार ₹18.24 प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स वसूल रही है। अकेले पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साईज़ लगाकर मोदी सरकार ने सात सालों में 24 लाख करोड़ रु. कमाए हैं।
o पहली बार खेती पर टैक्स यानि जीएसटी लगाया गया। ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत टैक्स। ट्रैक्टर के टायर व अन्य पुर्जों पर 18 प्रतिशत टैक्स। खाद पर 5प्रतिशत टैक्स। कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत टैक्स।
o खाद की कीमतों में अनाप-शनाप बढ़ोत्तरी की गई। DAP खाद के 50 किलो के बैग की कीमत रातोंरात ₹1200 से बढ़ाकर ₹1900 कर दी गई। चौतरफा विरोध के बाद भाजपा ने बढ़ी कीमत तो वापस ले ली, पर DAP खाद मिला नहीं और मजबूरन ब्लैक मार्केट में ₹2200 प्रति बैग खरीदना पड़ा।
भाजपा सरकार ने यूरिया खाद के 50 किलो के कट्टे से 5 किलो खाद ही चोरी कर लिया। पोटाश खाद के 50 किलो के बैग की कीमत साल, 2014 में ₹450 से बढ़ाकर ₹825 कर दी गई है। सुपर खाद के 50 किलो के बैग की कीमत भी साल, 2014 के ₹260 से बढ़कर ₹340 हो गई है।
o बीज और बिजली की कीमतों में भी इसी प्रकार से बढ़ोत्तरी की गई।
मोटे तौर पर मूल्यांकन किया जाए, तो मोदी सरकार ने प्रति वर्ष किसानों से 25,000 रु. हैक्टेयर खेती की लागत बढ़ाकर 2,50,000 करोड़ रु. साल ऐंठना शुरू कर दिया, यानि 7 सालों में 17.50 लाख करोड़। दूसरी ओर प्रधानमंत्री सम्मान निधि के नाम पर 1 दिसंबर, 2018 से आज तक मात्र 1,61 लाख करोड़ रु. ही किसानों को दिए। यानि लगभग 15 लाख करोड़ रु. किसान की जेब से निकाल लिए।
- समर्थन मूल्य: कांग्रेस बनाम मोदी सरकार
कांग्रेस सरकार ने 2006-07 से 2013-14 के बीच समर्थन मूल्य में 205 प्रतिशत तक की वृद्धि की थी। वहीं मोदी सरकार ने धान में मात्र 48 प्रतिशत और गेहूँ में मात्र 43 प्रतिशत की वृद्धि की। चने में 68 प्रतिशत, मक्का में 42 प्रतिशत, तुअर में 46 प्रतिशत की वृद्धि की।
- निजी बीमा कंपनियों की‘‘किसान लूट योजना’’
जब से यह योजना लागू की गई हैं देश के किसानों से प्रीमियम के नाम पर 21,450 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। मगर चौंकाने वाली बात यह है कि निजी कंपनियों ने साल 2016 से 2020-21 तक 30,320 करोड़ रुपए मुनाफा कमाया है।
- एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बना एक जुमला
मोदी सरकार ने दावा किया था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक लाख करोड़ रु. का एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड दिया जा रहा है। उसकी सच्चाई यह है कि अब तक इसमें से मात्र 6098 करोड़ रु. का लोन स्वीकृत किया गया है, जिसमें से मात्र 2071 करोड़ रु. जारी किए गए हैं।
- अन्नदाता को आत्महत्या का अभिशाप
मोदी सरकार के कार्यकाल में साल 2014 से 2020 के बीच 78,303 किसान-खेत मज़दूर आत्महत्या का फंदा चूमने को मज़बूर हो गए।
पाँच राज्यों के चुनाव में वोट की चोट ही किसान–विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को सच्चाई का आईना दिखाएगी। भाजपा की हार में ही किसान–खेत मज़दूर की जीत है।