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न सिर्फ जांच में छेड़छाड़ करना बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में भी दखल देता रहा है कुंवर विजय प्रताप: हाईकोर्ट

कोटकपूरा मामले में कुंवर विजय प्रताप सिंह की एस.आई.टी. की जांच को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कुंवर ने न सिर्फ इसी मामले में जांच से छेड़छाड़ की है बल्कि वह पहले भी कई मामलों में जांच से छेड़छाड़ करने का आदी रहा है। न सिर्फ जांच से छेड़छाड़ करता रहा है बल्कि वह न्यायिक प्रक्रिया में भी दखल देता रहा है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में वर्ष 2010 के एक केस का हवाला दिया है जो कि हाईकोर्ट की एक डबल बेंच के सामने आया था इस मामले में जांच से छेड़छाड़ कर एक सिविल विवाद को आपराधिक रंग देने की कुंवर विजय प्रताप ने कोशिश की थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने कुंवर विजय प्रताप पर ऐसा करने को लेकर 5000 जुर्माना भी लगाया था।

फरीदकोट के सी.जे.एम. पर भी लगाए थे कुंवर विजय प्रताप ने गलत आरोप
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि कुंवर विजय प्रताप ने फरीदकोट के सी.जे.एम. पर भी इसी तरह आरोप लगा उन्हें बदनाम करने की कोशिश की थी। कुंवर विजय प्रताप ने एस.एच.ओ. गुरदीप सिंह को एक और केस में नामजद उनकी रिमांड को लेकर सी.जे.एम. फरीदकोट के समक्ष अर्जी लगाई थी और 8 दिनों की रिमांड मांगी थी। सी.जे.एम. ने सभी तथ्यों को देखने के बाद सिर्फ एक दिन की रिमांड दी थी, जिसे कि कुणावर विजय प्रताप सिंह हजम नहीं कर पाए और उन्होंने इसके खिलाफ फरीदकोट के सेशन जज को शिकायत कर दी कि वह इस सी.जे.एम. को बेअदबी और गोलीकांड से संबंधित कोई केस न दें। क्योंकि सी.जे.एम. तत्कालीन मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल का रिश्तेदार है। जबकि हकीकत यह थी कि संबंधित सी.जे.एम. कुछ दिन के लिए ऑन ड्यूटी थे और इसका रोस्टर एक महीने पहले ही जारी हो चूका था। इसलिए कुंवर विजय प्रताप सिंह ने पूरी योजना के साथ अर्जी दाखिल करने का वही दिन चुना जिस दिन वह सी.जे.एम. ड्यूटी पर थे। तांकि वह इस तरह के आरोप लगा विरोधी राजनैतिक दल की छवि ख़राब की जा सके और अगले दिन यह सभी समाचार पत्रों में छप गया और उस सी.जे.एम. स केस वापिस ले लिए गए और इस तरह कुंवर विजय प्रताप सिंह अपने मकसद में कामयाब हो गए।

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