Chandigarh

पंजाब राजभवन में हुआ श्री राम कथा का शुभारंभ

हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने किया दीप प्रज्वलन

राम नाम लेने से होगी पवित्र आत्मा – विजय कौशल

भारत भूमि पवित्र है

चंडीगढ़, 

पंजाब राजभवन चंडीगढ़ के श्री गुरू नानक देव ऑडीटोरियम में आयोजक राज्यपाल पंजाब श्री बनवारीलाल पुरोहित की उपस्थिति में सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया जिसमें सुप्रसिद्ध कथाव्यास श्री विजय कौशल जी महाराज यहां विशेष रूप से कथा करने के लिए वृन्दावन से पधारे।

हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय तथा कथाव्यास श्री विजय कौशल जी महाराज ने दीप प्रज्वलन कर कथा का शुभारंभ किया। राज्यपाल पंजाब श्री बनवारीलाल पुरोहित ने भगवान राम जी को पुष्प मालाएं भेंट कर उनका पूजन तथा कथाव्यास का स्वागत किया।

हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित द्वारा जो यह कथा का आयोजन किया गया यह बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय है। भगवान राम जी के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों को सुनकर उन पर आचरण करने का मैं अवश्य प्रयास करूंगा।

कथाव्यास संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महाराज ने चंडी मां के चरणों में नमन करते हुए रामायण की चौपाईयों से राम कथा की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि भारत भूमि पवित्र है इसका कण-कण शंकर है और मां भारती की बूंद-बूंद गंगा है। भारत भूमि की महानता पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत भूमि जैसी पवित्र भूमि दूसरी कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रांत का भारत देश में एक विशिष्ट स्थान है। यह संघर्ष, त्याग व बलिदान की धरती है। इस अवसर पर उन्होंने श्री गुरू तेगबहादुर जी और श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के बलिदान को भी याद किया और कहा कि हमारे धर्म गुरूओं ने धर्म की खातिर कई कुर्बानियां दीं। ‘हिन्द तेरी शान बदले’, इस मधुर भजन का गायन कर उन्होंने भारत मां के वीर सपूतों को नमन किया।

उन्होंने प्रथम दिन की कथा का महातम बताया और फरमाया कि भगवान राम के दर्शनों की लालसा तभी पैदा होगी जब आप राम कथा सुनेंगे। राम की कथा सुनने से ही बेड़ा पार हो जाएगा। तनाव यही है कि आजकल मनुष्य किसी की सुनता ही नहीं, पिता पुत्र की, पुत्र पिता की, पड़ोसी पड़ोसी की भाई भाई की, कोई किसी की बात सुनता ही नहीं। समस्या न सुनने की ही है, सुनती केवल मां ही इसलिए मां शांत है। मनुष्य इधर-उधर की बातों पर ध्यान धरता है जिनको सुनते सुनते ही उसकी धारणाएं बनने लगती हैं। उन्होंने कहा कि कानों से जो सुनोगे, मुख वही चर्चा करेगा, यही विज्ञान है। जो हमारे भीतर जाता है वही मुख के मार्ग से बाहर आता है। कानों से जो सुनोगे वही मन में बैठेगा और हमारे होंठ वही शुभ या अशुभ बोलेंगे। इसीलिए, प्रभु का नाम सिमरन करते रहना चाहिए। राम नाम का गुणगान करते हुए उन्होंने समझाया कि कलयुग में मनुष्य योग, यज्ञ, तप, अनुष्ठान नहीं कर सकता, इसलिए कलयुग में केवल नाम जपें क्योंकि कलयुग में नाम ही आधार है जिसके द्वारा परमात्मा को पाया जा सकता है। भगवान के सहस्त्र नाम हैं, इसलिए चलते-फिरते, उठते-बैठते भगवान का कोई भी नाम लें। नाम लेने से ही आत्मा पवित्र होगी। अशांति का माहौल तभी सुधरेगा जब आप हृदय में भगवान राम को स्थापित कर लेंगे।

इस अवसर पर पंजाब, चंडीगढ़ व हरियाणा से विशिष्ट अतिथि सम्मिलित हुए और श्री राम कथा श्रवण की।

कल कथा के मुख्य अतिथि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान होंगे।

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