चहेतों और रसूखदारों के बच्चों को नौकरी देना भाई-भतीजावाद और बेशर्मी की हद: सीनियर एडवोकेट आर.एस. बैंस
4 साल पहले इसी तरह बेअंत सिंह पोते गुरइकबाल सिंह को बनाया था डी.एस.पी., हाईकोर्ट में पेंडिंग है यह केस
पंजाब मंत्रियों के बच्चों और रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी देने पर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आर.एस. बैंस ने इसे भाई-भतीजावाद और बेशर्मी की हद कहा है। बैंस ने बताया की यह कोई पहला मामला नहीं है जहां मौजूदा सरकार ने अपने चहेतों और रसूखदारों के बच्चों को सरकारी नौकरी दी है।
बैंस ने बताया की इससे पहले 2017 में यही सर्कार पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते गुरइकबाल सिंह को डी.एस.पी. बना चुकी है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में केस पेंडिंग है और कोविड के कारण डेढ़ साल से इस केस की सुनवाई नहीं हो पाई है। सरकार ने इसी का फायदा उठाते हुए अब दो और रसूखदारों के बच्चों को अनुकम्पा के आधार पर सरकारी नौकरी दे दी है। सीनियर एडवोकेट बैंस के अनुसार अब जिन दो रसूखदारों और मंत्रियों के बच्चों को सरकारी नौकरी दी गई है, वह दोनों ही न तो अनुकम्पा के आधार पर और नाही ही दया के आधार पर सरकारी लेने के अधिकारी है।
सीनियर एडवोकेट का कहना है की यह दोनों नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उलंघन है, जिसमे यह साफ तय किया जा चूका है कि, अनुकम्पा के आधार पर सिर्फ वास्तविक पीड़ित परिवार के सदस्यों को ही नियुक्ति दी जा सकती है। वह भी तब अगर परिवार और आश्रित की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। परिवार के सदस्य सांसद और विधायक है और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बेहद मजबूत है।