जनरल जिया, ज्ञानी, गुजराल, मनमोहन, नवाज, इमरान जैसे लीडर देने वाले पंजाब की पॉलिटिक्स पर माफियाओं का कंट्रोल ?
संजीव पांडेय
1947 के बाद भारत और पाकिस्तान की राजनीति पर पंजाबियों ने अपनी पूरी छाप छोड़ी है। पंजाबी भारत और पाकिस्तान की राजनीति के केंद्र मे अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे है। जनरल जिया-उल-हक, ज्ञानी जैल सिंह, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह, नवाज शरीफ और इमरान खान इसके उदाहऱण है। लेकिन आज क्या स्थिति है? भारतीय पंजाब की राजनीतिक हालात देखने वाले है। भारतीय पंजाब की राजनीति को पूरी तरह से माफियाओं ने अपने कंट्रोल में ले लिया है।
ड्रग माफिया, सैंड माफिया, लीकर माफिया। ये शब्द पंजाब की राजनीति में आज एक कॉमन शब्द है। भारतीय पंजाब की राजनीति की जब भी चर्चा होती है, तो ड्रग माफिया, सैंड माफिया और लीकर माफिया की चर्चा जरूर होती है। चर्चा होने के वाजिब कारण है। क्योंकि यही माफिया पंजाब की राजनीति को कंट्रोल कर रहे है। राजनीति के गलियारों में इनकी काफी मजबूत पकड़ है। सरकार किसी भी पार्टी की हो, मुख्यमंत्री कोई भी हो, इन माफियाओं के बिना सरकार का कामकाज नहीं चलता है। ड्रग माफिया, सैंड माफिया, लीकर माफिया ही पंजाब की राजनीति को कंट्रोल करते है।
भारतीय पंजाब में पैदा हुए ज्ञानी जैल सिंह स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपति बने। भारतीय पंजाब के जालंधऱ में पैदा हुए जनरल जिया-उल-हक स्वतंत्र पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। पाकिस्तानी पंजाब के झेलम जिले में पैदा हुए इंद्र कुमार स्वतंत्र भारत में प्रधानमंत्री बने। पाकिस्तानी पंजाब के ही चकवाल जिले में पैदा हुए मनमोहन सिंह भी स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बने। इन लोगों की पहचान एक गंभीर राजनेता और बुदिजीवी की रही। भारतीय पंजाब के अमृतसर से संबंधित नवाज शरीफ का परिवार पाकिस्तान की राजनीति में आज भी दबदबा रखता है। नवाज शरीफ 1990 के दशक से पाकिस्तान की राजनीति में महत्वपूर्ण है। वे तीन बार प्रधानमंत्री बन चुके है। भारतीय पंजाब के जालंधर औऱ पाकिस्तानी पंजाब के मियांवाली से संबंध रखने वाले इमरान खान भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन चुके है। शरीफ का परिवार कश्मीरियों के अमृतसरी ब्रांच से संबंधित है। जबकि इमरान खान की मां शौकत खानम का परिवार सैकड़ों साल पहले जालंधर में आकर बस गया था। शौकत खानम के दादा ब्रिटिश इंडिया में जालंधऱ के सेशन जज थे। जबकि इमरान खान के पिता पाकिस्तानी पंजाब के मिंयावली के रहने वाले थे।
बतौर प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल और मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ी। इंद्र कुमार गुजरात की पहचान एक बड़े लोकतांत्रिक नेता के तौर पर रही। उनकी विदेश नीति की भी एक पहचान बनी। जबकि मनमोहन सिंह की पहचान उनकी आर्थिक नीतियों के कारण बनी। हालांकि उनकी आर्थिक नीतियों के घोर समर्थक और घोर विरोधी इस देश में मौजूद है, लेकिन उनकी आर्थिक नीतियों की तारीफ दुनिया के कई मुल्कों ने की।
जनरल जिया-उल-हक की एक अलग पहचान पाकिस्तान में थी, जिसपर तमाम विवाद है। लोकतंत्र समर्थक उन्हें तमाम गालियां देते है। लेकिन उनकी अफगानिस्तान, अमेरिका, सोवियत रूस और भारत नीति की चर्चा आज भी होती है। उनकी बनायी हुई पाकिस्तानी विदेश नीति का प्रभाव आज भी दक्षिण एशियाई देशों पर है। अमेरिका को लेकर जनरल जिया की बनायी गई नीति से पाकिस्तान की एक अलग पहचान बनी, जिससे तत्कालीन सोवियत रूस भी परेशान हुआ था। जनरल जिया ने पाकिस्तान के जियो-पॉलिटिक्स की मार्केटिंग की। जनरल जिला ने दक्षिण एशिया की जियोप़ालिटिक्स में अपनी एक पहचान बनायी। हालांकि नवाज शरीफ और इमरान खान को लेकर तमाम विवाद है। लेकिन नवाज शरीफ 1990 के दशक से आजतक पाकिस्तान की राजनीति में महत्वपूर्ण बने हुए है। आज फिर एक बार पाकिस्तान की राजनीति में उनकी वापसी की चर्चा हो रही है।
लेकिन आज भारतीय पंजाब की राजनीति कहां पहुंच गई है। मनमोहन सिह के बाद पंजाब के राजनेता दिल्ली के नेशनल सीन से गायब है। वर्तमान में शायद ही पंजाब का कोई राजनेता दिल्ली की राजनीति में अपनी काबलियत और अक्ल के कारण पकड़ रखे हुए है ? पंजाब से जीतने वाले सांसदों और राज्य विधानसभा के विधायकों पर तमाम आरोप है। इनपर सैंड माफिया, लीकर माफिया और ड्रग माफिया को प्रोटेक्शन देने का आरोप है। हर दल के सांसदों और विधायकों पर तमाम गंभीर आरोप है। पंजाब के राजनेता कई तरह के गलत कारोबार में संलिप्त है, इसकी जानकारी सरकार की एजेंसियों की रिपोर्टों में ही दर्ज है। इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट से लेकर पंजाब पुलिस तक की रिपोर्ट में नेता-माफिया गठजोड़ का खुलासा हुआ है। ड्रग कारोबार को लेकर कोई नेता इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट के निशाने पर है तो कोई नेता पंजाब पुलिस के निशाने पर है। पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के नजदीकी रिश्तेदार पूर्व मंत्री विक्रम मजीठिया पर ड्रग कारोबारियों को संरक्षण देने का आरोप है। अब सैंड माफियागिरी के आरोप में वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नजदीकी रिश्तेदार पर ईडी की छापेमारी हुई है। इसमें कोई शक नहीं है कि पंजाब अपनी राजनीति का गोल्डेन पीरियड खो चुका है।