पंजाब में कांग्रेस भूल गई अपना नारा “ लड़की हूं, लड़ सकती हूं”
संजीव पांडेय
‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’, इस नारे को चुनावी मुद्दा बनाकर यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव मैदान में उतर चुकी है। लेकिन यही नारा कांग्रेस पंजाब में भूल चुकी है। पंजाब में अपनी पहली सूची में कांग्रेस ने महिलाओं को खासा नजर अंदाज किया है। कांग्रेस का यह रवैया बताने के लिए काफी है कि यूपी में हाशिए पर आयी कांग्रेस महिलाओं के दम पर मात्र अपने खोए जमीन को वापस पाने की कोशिश में है। यूपी में कांग्रेस की पहली सूची में 50 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है। यह कुल उम्मीदवारों का 40 प्रतिशत है। जबकि पंजाब में अभी तक कांग्रेस ने मात्र 9 प्रतिशत महिलाओं को ही चुनाव मैदान में उतारा है।
यूपी में कांग्रेस चौथे नंबर पर है। तीन दशक से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। कांग्रेस ने अपने खोए जमीन की वापसी के लिए नया नारा दिया। लड़की हूं लड़ सकती हूं। यह नारा प्रियंका गांधी ने दिया। कई जगहों पर महिलाओं में इस नारे से खासा उत्साह दिखा। कांग्रेस ने 2022 के लिए अपने 125 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी। वादे के अनुसार महिला वोटरों को लुभाने के लिए पहली सूची में 50 महिलाओं को जगह दे दी। ये कुल उम्मीदवारों का 40% है। लेकिन पंजाब में कांग्रेस ने इसके विपरित रवैया अपनाया। यहां जारी पहली सूची में मात्र 8 महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा गया है। 86 सीटों के लिए उम्मीदवारों की जारी पहली सूची में केवल 8 सीटें महिलाओं को जगह मिली है। अब केवल 31 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने हैं। इसमें बमुश्किल 2 और महिलाओं को टिकट मिल सकता है। मतलब साफ है कि ‘लड़की हूं लड सकती हूं’ का नारा महज कांग्रेस का दिखावा है। उधर कांग्रेस की सूची में शामिल महिलाएं कोई आम महिला नहीं है।
कांग्रेस की सूची में शामिल अरूणा चौधरी और रजिया सुल्ताना सीटिंग विधायक है। राजिंदर कौर भट्टल 2017 में विधानसभा चुनाव हार चुकी थी। हालांकि वे राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी है। इसलिए उन्हें चुनाव मैदान में उतरना तय था। एक्टर सोनू सूद की बहन मालविका सूद को टिकट दिया गया है। मालविका सूद का टिकट मिलने का मुख्य कारण सोनू सूद है। जबकि कांग्रेस सूची में शामिल एक और महिला उम्मीदवार आम आदमी पार्ती से कांग्रेस में आयी है। वैसे में यह कहना वाजिब होगा कि कांग्रेस की सूची में ‘लडकी हूं, लड़ सकती हूं’ नारे की पूरी अनदेखी की गई है। यही नहीं यूथ कांग्रेस की महिलाओं की हिस्सेदारी अभी तक सूची में नहीं दिखी है।
पंजाब कांग्रेस के नेता पंजाब मे ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के नारे को व्यवहार रूप में नहीं अपनाए जाने के कुछ कारण बता रहे है। उनका कहना है कि पंजाब में कांग्रेस धड़ों में बंटी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कांग्रेस छोड़ चुके है। वैसे में कई उन विधायकों को मजबूरी में टिकट में देना पड़ा, जिनका टिकट हाईकमान काटना चाहता था। भ्रष्टाचार के आरोप कई विधायकों और मंत्रियों पर थे। लेकिन हाईकमान का डर था कि टिकट कांटने की स्थिति में ये सारे अमरिंदर सिंह और भाजपा के खेमे में जाकर चुनाव मैदान में उतर जाएंगे। इससे कांग्रेस का नुकसान होगा। वहीं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोट सिंह सिदू और मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी के बीच टकराव है। यह टकराव टिकट बंटवारे के वक्त भी देखा गया। वैसे में दोनों गुटों को संतुष्ट कर टिकट बंटवारा करना हाईकमान के लिए काफी मुश्किल काम था। इसलिए कांग्रेस हाईकमान ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का पंजाब में व्यवहार रूप में लेकर नहीं आया।