Punjab

राज्यों के मुख्यमंत्री बदलने का भाजपा का मोडल अपनाना क्या कांग्रेस को पड़ सकता है भारी ?

हाल ही में भाजपा ने तीन राज्यों के मुख्यमंत्री बदल कर नए मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिए हैं। अब कांग्रेस भाजपा के इस मोडल को पंजाब में लागु कर रही है और भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस ने पंजाब विधान सभा चुनावों से ठीक छह महीने पहले राज्य के मुख्यमंत्री को बदल दिया गया है। एक तरह से इस मामले में कांग्रेस भाजपा के नख्शे-कदम पर चल निकली है। लेकिन यह कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।
राज्य के मुख्यमंत्री को बदलने की भाजपा रणनीति अपनाते समय कांग्रेस को कुछ बातों पर गौर करना चाहिए था। भाजपा और कांग्रेस में एक बुनियादी अंतर दोनों की हाई कमान का है। जिन राज्यों में भाजपा विजयी हुई थी, वहां के अधिकतर लोगों ने मुख्यमंत्री का चयन नहीं किया था, बल्कि हर जगह नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लोगों ने भाजपा को वोट दिए थे, चुनाव जितने के बाद ही मुख्यमंत्री का चयन किया गया था। ऐसे में भाजपा चाहे अपने मुख्यमंत्री कितनी ही बार बदल ले इस पर सवाल नहीं उठे थे।  लेकिन पंजाब में 2017 के विधान सभा चुनावों में राज्य की जनता ने कांग्रेस हाई कमान के चेहरे पर नहीं, बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम पर कांग्रेस को वोट दी थी। ऐसे में कांग्रेस द्वारा राज्य का मुख्यमंत्री को बदलने का निर्णय शायद राज्य के वह मतदाता जिन्होंने 2017 में कांग्रेस को वोट दिया था पचा नहीं पाएंगे हैं। पंजाब की जनता ने 2017 में कैप्टन को मुख्यमंत्री चुना था, नाकि किसी अन्य को। इस तरह कांग्रेस को पंजाब में भाजपा के मुख्यमंत्री के मोडल को बदलने का प्रयोग कांग्रेस को भारी भी पड़ सकता है। कांग्रेस का यह कदम कितना सही है यह तो आने वाले दिनों में तय हो जाएगा।

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