सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को माना पेशा, सहमति से सेक्स करने वालों पर पुलिस कार्यवाही नहीं करेगी
*सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश*
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनते हुए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया है कि उन्हें सेक्स वर्कर्स के काम में दखल नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को पेशा माना है , सुप्रीम कोर्ट ने कहा के सहमति से सेक्स करने वालों पर पुलिस कार्यवाई नहीं करेगी । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को सहमति से सेक्स करने वाली महिलाओं और पुरुषों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब यह साबित हो जाता है कि सेक्स वर्कर व्यस्क है और अपनी मर्जी से सेक्स कर रहा है तो पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए । जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना वाली बेंच ने सेक्स वर्कर को लेकर निर्देश देते हुए कहा कि कहा कि “सेक्स वर्कर भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा के हकदार हैं.” सेक्स वर्कर कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुलिस को सहमति से सेक्स करने वाली महिलाओं और पुरुषों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए । कोर्ट ने सख्स लहजे में कहा कि सभी नागरिक को अनुछेद 21 के तहत सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जब भी पुलिस छापेमारी करे तो सेक्स वर्कर को परेशान न करे. क्योंकि वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है अपनी मर्जी से सेक्स करना नहीं है । कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी बच्चे को उसकी मां से इसलिए अलग नहीं किया जा सकता कि उसकी मां वैश्या है. वैश्यालयों में अगर कोई नाबालिग बच्चा पाया जाता है तो या सेक्स वर्कर के साथ रहते हुए पाया जाता है तो यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह तस्करी करके लाया गया है।