समाजसेवा के जज्बे को यूं ही बरकरार रखें संजय पराशर-धूमल
समाजसेवा के जज्बे को यूं ही बरकरार रखें संजय पराशर-धूमल
-पराशर ने समीरपुर में की पूर्व मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट
डाडसीबा-
पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने समाजसेवी, नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य और वीआर मेरीटाइम सर्विसेस के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर द्वारा कोरोनाकाल में किए गए समाजसेवा के कार्यों के लिए पीठ थपथपाई है और उनसे कहा है कि भविष्य में भी पराशर सामाजिक सरोकारों के निभाने के जज्बे को बरकरार रखें। मंगलवार देर शाम को धूमल से उनके निवास स्थान समीरपुर में संजय पराशर ने शिष्टाचार भेंट की। तीन घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में धूमल ने जहां अपने राजनीतिक अनुभवों को सांझा किया तो पराशर ने भी विश्व के 82 देशों और 518 बंदरगाहों की यात्रा से जुड़े संस्मरणों की दिग्गज भाजपा नेता के साथ चर्चा की। इस दौरान धूमल ने कहा कि मावनता की सेवा इस जगत की सबसे बड़ी सेवा है और कोरोना जैसी विपदा की दूसरी लहर के दौरान सबसे पहले जिला कांगड़ा व ऊना में पराशर ने मोर्चा संभाला। इसके बाद वह कोरोना संक्रमित मरीजों के लगातार संपर्क में रहे अौर उनका हौसला बढ़ाते रहे। धूमल का कहना था कि पराशर के इस नेक व निस्वार्थ भाव से किए गए कार्यों के बाद कई अन्य लोगों ने भी प्रेरणा ली और वे भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए जरूरतमंदों की सहायता में लग गए। कहा कि अपने निजी संसाधनों से समाज के कमजोर वर्ग को सहारा देना एक अनुकरणीय उदाहरण होता है और इस कार्य में संजय पराशर ने सभी के समक्ष एक बड़ी मिसाल पेश कर दी है। उन्होंने पराशर से कहा कि समाज को उनके जैसे व्यक्तित्व की सख्त जरूरत है और वह इस जज्बे को कायम रखकर भविष्य में भी समाज हित में कार्य करते रहें। इस पर पराशर ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के शुरूआती दौर में जब संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ने लगा और हर तरफ निराशा व हताशा का माहौल बनने लगा तो उन्हें लगा कि पीड़ित मानवता के लिए अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधा और जरूरत के हिसाब से दवाईयां, पीपीई किटें और अन्य मेडीकल उपकरण उपलब्ध करवाए। पराशर ने कहा कि उस वक्त उनके मन में न प्रसिद्धि पाने की लालसा थी और न ही किसी पारितोषिक की चाहत थी। अपने संसाधनों से जो वह कर सकता थे, उसे करने का प्रयास किया। अब जो आत्मिक संतुष्टि व अपनों का स्नेह मिल रहा है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। धूमल ने कहा कि वह पराशर के स्वाणा स्थित पैतृक गांव में भी जल्द आ रहे हैं क्योंकि उनका इस गांव से पुराना नाता रहा है और पराशर के चाचा सुखदयाल शर्मा जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे हैं। इस भेंट में पराशर की पत्नी सोनिका पराशर भी माैजूद रहीं।