दूसरी लहर में 1237 कोरोना संक्रमित मरीजों तक पुहंची संजय पराशर व टीम
दूसरी लहर में 1237 कोरोना संक्रमित मरीजों तक पुहंची संजय पराशर व टीम
-जसवां-परागपुर के अलावा देहरा, गगरेट, चिंतपूर्णी, ज्वालाजी और हरोली तक पहुंचाई मदद
रक्कड़-
बेशक अब कोरोना की दूसरी लहर का असर धीरे-धीरे कम होने लगा है और कोरोना कर्फ्यू के बाद हालात सुधरते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन मई माह की शुरूआत में एक दौर ऐसा भी था जब कोरोना संक्रमण सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जा रहा था और जनता में भयभीत का माहौल बन गया था। निराशा के इस वातावरण के बीच में समाजसेवी, नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य और वीआर मेरीटाइम सर्विसेस के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर कोराेना की लड़ाई में महानायक की तरह पेश आए। यह पराशर ही थे, जिन्होंने कोरोना संक्रमित मरीजों को यह विश्वास दिलाया कि वे सिर्फ अपना आत्मविश्वास कायम रखें, बाकि का काम वह प्रशासन व सरकार के साथ मिलकर पूरा कर देंगे। पराशर ने न सिर्फ खुद के संसाधनों से स्वास्थ्य विभाग, जिला ऊना व कांगड़ा प्रशासन, आशा वर्करों और पंचायत प्रतिनिधियों को पौने तीन करोड़ रूपए की दवाईयां, आवश्यक उपकरण व ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर खरीद कर उपलब्ध करवाए तो पिछले 22 दिनाें में वह और उनकी टीम 1237 कोरोना संक्रमित मरीजों तक पहुंची और ऐसे परिवारों का हौसला भी बढ़ाया। जरूरतमंदों तक इस टीम ने फल, दवाईयां, इम्यूनिटी बूस्टर, मैगजीन और अखबारें तक भी पहुंचाईं। कैप्टन संजय पराशर की अध्यक्षता वाली जप विकास परिषद के 455 से ज्यादा सदस्य हो चुके हैं, जोकि काेरोना संक्रमित मरीजों की सहायता के लिए दिन-रात अपना योगदान दे रहे हैं। पराशर की टीम ने जसवां-परागपुर, देहरा, गगरेट, चिंतपूर्णी और ज्वालाजी विस क्षेत्रों की 79 पंचायतों के प्रतिनिधियों तक भी सैनिटाइजर, पीपीइ किट्स व मास्क का सामान इस समयावधि के दौरान उपलब्ध करवाया है तो 338 आशा वर्कराें को भी ऑक्सीमीटर मुहैया करवाए। इसके अलावा पराशर द्वारा अब पंचायतों में कोरोना संक्रमित मरीज की गंभीर स्थिति में अस्पताल तक पहुंचाने या फिर आक्सीजन कंस्ट्रेटर मशीन के उपयोग के बारे में ड्रिल भी करवाई जा रही है। वीरवार को सात पंचायताें में यह मुहिम चलाई गई, जिसमें वाॅलियंटिर्स को सिखाया गया कि आपात स्थिति में कैसे काम करना है। पराशर ने गंभीर रोग से पीड़ित कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए दस आॅक्सीजन कांस्ट्रेटर की व्यवस्था जसवां-परागपुर क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर कर दी है। संजय का कहना है कि कोरोना का दर्द उन्होंने व उनके परिवार ने भी सहन किया है। पिछले वर्ष हालात कुछ यह थे कि कोई संक्रमित हो जाता था तो सगे-संबंधी भी बात करने तक से कतराते थे। उन्होंने इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है कि बीमारी से घृणा होनी चाहिए, बीमार से नहीं। बताया कि भविष्य में भी वह कोरोना पॉजीटिव मरीजों की सेवा में काम करते रहेंगे।