अमर शहीद राजगुरु को उनके जन्मदिवस पर किया याद
अमर शहीद राजगुरु को उनके जन्मदिवस पर किया याद ।
गगरेट(ऊना)शहीद भगतसिंह क्लब अमबोटा ने शहीदी स्मारक पर शहीद राजगुरु की जन्मदिन पर फूल मालाएं अर्पित की ओर मिठाई बांटी. शिवराम हरि राजगुरु का जन्म पुणे के पास खेड़ नामक गांव (वर्तमान में राजगुरु नगर) में हुआ था। बचपन से ही राजगुरु के अंदर जंग-ए-आज़ादी में शामिल होने की ललक थी। वे महाराष्ट्र के देशाथा ब्रह्मण परिवार से थे। उनके परिवार का शांत साधारण जीवन था, लेकिन उनके जीवन में अशांति तब आयी, जब होश संभालते ही उन्होंने अंग्रेजों के जुल्म को अपनी आंखों के सामने होते देखा।आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी। मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी में शामिल हो गये। उनका और उनके साथियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अधिकारियों के मन में खौफ पैदा करना। साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे।19 दिसंबर 1928 को राजगुरू ने भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर ब्रिटिश पुलिस ऑफीसर जेपी साण्डर्स की हत्या की थी। असल में यह वारदात लाला लाजपत राय की मौत का बदला थी, जिनकी मौत साइमन कमीशन का विरोध करते वक्त हुई थी। उसके बाद 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेम्बली में हमला करने में राजगुरु का बड़ा हाथ था। राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव का खौफ ब्रिटिश प्रशासन पर इस कदर हावी हो गया था कि इन तीनों को पकड़ने के लिये पुलिस को विशेष अभियान चलाना पड़ा।पुणे के रास्ते में हुए गिरफ्तार पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये।वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी। इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते, पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को सूली पर लटका दिया गया।क्लव सदस्य जगजीत सिंह मोहिंदर सिंह रणवीर राणा विक्रम सिंह मनजीत सिंह अमरतपाल सिंह राजेश ठाकुर संजय कुमार रजिंद्र कुमार मनिष अत्री पंकज जसवाल वचितर सिंह शम्मी ओर मेम्बर मोजूद थे।