विधुत उप-मण्डल चंबा न -1 ने 376 उपभोक्ताओं की विधुत आपूर्ति अस्थायी तौर पर काटने के जारी किए आदेश
विधुत उपमंडल चंबा न॰ -1 के अंतर्गत आने वाले विभिन्न श्रेणियों के कुल 376 उपभोक्ताओं को बिजली बिल की समय पर अदायगी न करने के कारण विधुत आपूर्ति अस्थायी तौर पर काटने के आदेश जारी कर दिये है। इन उपभोक्ताओं से कुल 22,22,634.00 रूपये की राशि वसूली जानी है।
विभाग द्वारा पहले ही दिनांक 5 अप्रैल को डिफाल्टर उपभोक्ताओं को नोटिस जारी कर 15 दिनो के भीतर बिल जमा करवाने के लिए अपील की जा चुकी थी। अत: अब कुल 376 उपभोक्ताओं द्वारा बिजली के बिल न जमा होने के कारण विभाग को उनकी विधुत आपूर्ति अस्थायी तौर पर काटने के आदेश जारी करने पड़े हैं। अस्थायी तौर पर बिजली कटने के बाद विधुत बिल की राशि के साथ- साथ 250.00 रुपेय का अतिरिक्त शुल्क (reconnection charges) अदा करना पड़ेगा। अस्थायी तौर पर कनैक्शन कटने के बाद भी कोई बिल का भुगतान नहीं करता है तो विभाग एक तय सीमा के बाद स्थायी तौर पर विधुत कनैक्शन काटने के आदेश जारी कर देगा और स्थायी तौर पर कनैक्शन कटने के बाद विधुत उपभोक्ता को पहले मीटर की बकाया राशि का भुगतान करने के बाद नये सिरे से विधुत कनैक्शन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा व इसके लिए लगभग चार से पाँच हजार रूपये तक का अतिरिक्त शुल्क अदा करना पड़ेगा। अत: उपभोक्ताओं से अनुरोध है कि समय पर अपने बिजली के बिल की अदायगी करें ताकि उन्हे बिजली कट जाने की वजह से किसी समस्या का सामना न करना पड़े ।
ग्राम पंचायत खुशनगरी में लोगों को दी कानूनी जानकारी
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल कौंडल ने की अध्यक्षता
चम्बा, 19 अप्रैल
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चम्बा द्वारा खंड विकास अधिकारी तीसा के सहयोग से मंगलवार को ग्राम पंचायत खुशनगरी में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में जन प्रतिनिधियों सहित स्थानीय लोगों ने भाग लिया। शिविर की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण विशाल कौंडल ने उपस्थित लोगों को कानूनी जानकारी प्रदान की। साथ ही उन्हें मौलिक अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी किया। विशाल कौंडल ने पोक्सो अधिनियम की जानकारी देते हुए उन्हीने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पोक्सो अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत बच्चे के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति को कड़ी सजा का प्रावधान है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में है। यह कानून लड़के व लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, विकलांगों, आपदा पीड़ित लोगों, शोषण के शिकार बच्चों और सालाना तीन लाख रुपए से कम आय वाले लोगों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता का प्रावधान है। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आवेदन की प्रक्रिया भी बहुत आसान है और पात्र लोगों को इसका लाभ उठाना चाहिए। मुकदमों को तुरंत निपटाने के लिए प्राधिकरण राष्ट्रीय, राज्य, जिला तथा उपमंडल स्तर पर नियमित लोक अदालतों का आयोजन करता है। यदि उनके कानूनी अधिकारों का अतिक्रमण हो तो उनके समाधान के बारे में भी बताता है। उन्होंने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण मध्यस्था के माध्यम से विवादित पक्षों के बीच समझौता की आधारभूत आधार भूमि तैयार करता है। इसके अतिरिक्त अधिवक्ता पविंद्र ने भी उपस्थित लोगों को विभिन्न कानूनी सहायता बारे कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी।