नारी सशक्तिकरण के लिए कैप्टन संजय निभा रहे अहम भूमिका -महिलाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कर रहे 12 प्राेजेक्ट्स पर काम
नारी सशक्तिकरण के लिए कैप्टन संजय निभा रहे अहम भूमिका
-महिलाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कर रहे 12 प्राेजेक्ट्स पर काम
डाडासीबा-
महिला सशक्तिकरण की दिशा में कैप्टन संजय पराशर अहम भूमिका निभा रहे हैं। महिलाओं को समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वह तक 12 प्राेजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं। नारी सशक्तिकरण का अभियान निरंतर जारी है। पराशर ने अब चार छात्राओं को प्लस टू के बाद की पढाई के बाद स्कॉलरशिप और नौकरी में स्पांसरशिप देने का भी ऐलान किया है।
दरअसल पराशर पिछले वर्ष से ही अाधी दुनिया के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं। पिछले वर्ष चिंतपूर्णी कॉलेज, जहां अधिकतम छात्राएं ही अध्ययनरत हैं, के भवन की हालत काे देखकर उनका मन पसीज गया था। इस कॉलेज के भवन के जीर्णोद्धर, स्मार्ट क्लास रूम और डिजिटल पुस्तकालय पर कैप्टन संजय ने करीब तीस लाख रूपए की राशि खर्च कर दी। इतना ही नहीं इसी महाविद्यालय के 175 विद्यार्थियों का वार्षिक शुल्क भी उन्होंने अपनी जेब से भरा। कोरोना की दूसरी लहर में जब उनकी नजर रक्कड़ तहसील के चमेटी गांव की महिलाओं द्वारा तैयार हर्बल उत्पादों पर पड़ी तो पराशर ने इस सेल्फ हेल्प ग्रुप के दो लाख रूपए से ज्यादा का सामान खरीदकर संक्रमित मरीजों के बीच जाकर बांटा। इसके बाद भी उन्होंने इस ग्रुप के अन्य उत्पाद भी खरीदे और गुजरात में भेजा गया। वोकल फॉर लोकल के नारे के साथ अब भी पराशर इस ग्रुप से जुड़े हैं और भविष्य में भी सहायता का भरोसा दिया है। संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र में निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करने का भी महाअभियान चला रखा है, जिसके अंर्तगत 36 गांवों में अब तक 54460 सैनिटरी नैपकिन महिलाओं व किशोरियों में अब तक बांटे जा चुके हैं। इसके अलावा पराशर द्वारा आयोजित चिकित्सा शिविरों में महिलाओं की ही ज्यादा उपस्थिति दर्ज होती रही है। अब तक कुल लगे नौ मेडकील कैंपों में कुल 4596 महिला लाभार्थी पहुंची, जिनमें 116 का मोतियाबिंद का सफल आपरेशन करवाया गया तो 257 को कानों की सुनने वाली मशीनें निशुल्क वितरित की गईं। निराश्रित महिलाओं के लिए भी संजय पेंशन और उनके बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसी 95 महिलाओं व उनके बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा हाल ही में उन्होंने ऐसी महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के साथ पेंशन देने की भी घोषणा की है। बड़ी बात यह भी है कि अब मर्चेंट नेवी में युवतियों की भर्ती हो, इसके लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं। वैसे उन्होंने प्रदेश की पहली युवती आंनदिता धीमान, देहरा को पहली बार मर्चेंट नेवी में नौकरी दिलाई थी। धीमान अब एक नामी बहुराष्ट्रीय शिपिंग कंपनी में सहायक तकनीकी प्रबंधक है। वहीं, अब मर्चेंट नेवी में रोजगार देने के लिए पराशर ने संजय ने चार छात्राओं को स्कॉलरशिप व नौकरी की स्पांसरशिप देने का ऐलान किया है। प्लस टू की पढ़ाई के बाद इंजीनियरिंग व बीई मेरीन की डिग्री के लिए पराशर द्वारा इन्हें छात्रवृति दी जाएगी और उतीर्ण होने के बाद नौकरी देने की जिम्मेवारी भी कैप्टन संजय पर होगी। वहीं, पराशर का कहना था कि राष्ट्र और समाज में हमेशा ही नारी शक्ति की अहम भूमिका रही है। नारी सशक्तिकरण से ही हमारा भविष्य उज्जवल होने वाला है। महिलाओं के सम्मान में वह आगे भी प्रोजेक्ट्स पर कार्य करते रहेंगे।
बच्चों के उज्जवल भविष्य से भारत बन पाएगा फिर से विश्व गुरू-कैप्टन संजय
-कलोहा में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों व अभिभावकों से किया सीधा संवाद
रक्कड़-
कैप्टन संजय पराशर ने कहा है कि भारत के फिर से विश्व गुरू बनने में बच्चों का उज्जवल भविष्य निणार्यक साबित होगा। सही मायनों में बच्चे ही देश का असली भविष्य हैं। इस लिहाज से उनका संपूर्ण विकास हर क्षेत्र के लिए मायने रखता है। अभिभावकों के साथ शिक्षण संस्थानों व समाज का भी नैतिक दायित्व बनता है कि बच्चों में बहुआयामी व्यक्तित्व के निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित करें। कलोहा पंचायत में ‘शिक्षा व संस्कार’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में पराशर ने बच्चों व अभिभावकों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि माता-पिता बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं। वे ही अपने बच्चों को सदाचार सिखाते हैं। बच्चे की उचित शिक्षा का दायित्व भी निभाते हैं। ऐसे में बच्चों को इस आधुनिक माहौल में भी संस्कार देना बेहद जरूरी है तो उन्हें किसी भी क्षेत्र में खुद को अव्व्ल साबित करने के लिए प्रेरित भी करना होगा। अगर परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजा करते हैं और साथ में खाना खाते हैं, तो निश्चित तौर पर ऐसे संस्कार बच्चों को आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही बच्चों को ग्लाेबल होते जा रहे संसार में किसी भी प्रतियोगिता के लिए मानसिक रूप से तैयार करना होगा। कहा कि बच्चे मोबाइल फोन का प्रयोग करने के बाद लिखना तक भूल गए हैं। उनकी विषयों पर पकड़ ढीली होती जा रही है। सोशल मीडिया में समय व्यतीत करना या कहें कि बर्बाद करने से उनका भविष्य दांव पर लगता दिख रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों की कंप्यूटर ज्ञान व अंग्रेजी विषय कमजोर कड़ी रहे हैं और अब भी इसमें सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है। बड़े शहरों में गला काट प्रतिस्पर्धा के चलते ऐसे अधिकांश बच्चे प्रतियोगी परीक्षाआें में टिक नहीं पाते, ऐसे में उन्हें लग्न व कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। ग्रामीण परिवेश में रोजगार अब भी सबसे बड़ा मुद्दा है। उनका प्रयास है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों का सृजन हो। इसके लिए उन्होंने खुद स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मुहिम शुरू की है, तो कई कंपनियों से भी यहां अपने कार्यालय खोलने का आग्रह किया है। बावजूद विडम्बना यह भी है कि प्रोफेशनल कंपनी में कार्य करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए उन्होंने रैल पंचायत के मेहड़ा में एेसा केन्द्र खोला है और अन्य चार स्थानों पर भी कंप्यूटर और इंग्लिश लर्निग सेंटर खोलने पर विचार चल रहा है। इसके अलावा उनके कार्यालयों में विद्यार्थी निशुल्क कोचिंग प्राप्त कर सकते हैं। कहा कि कोरोना के हालात सामान्य होते हैं तो उनकी शिक्षण संस्थानों में कैरियर गाइडेंस शिविर लगाने की योजना है।