
चंडीगढ़, 14 अगस्त — विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज फरीदाबाद जिले में 564 करोड़ 27 लाख रुपये की लागत से 29 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इनमें 61 करोड़ 20 लाख रुपये की लागत वाली 7 परियोजनाओं का उद्घाटन और 433 करोड़ 15 लाख रुपये की लागत वाली 22 परियोजनाओं का शिलान्यास शामिल है।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल कौशिक, कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बदोली में 3 करोड़ 24 लाख रुपये, राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन.आई.टी.-1 में 3 करोड़ 14 लाख रुपये और राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तिगांव में 3 करोड़ 96 लाख रुपये की लागत से नए भवनों का उद्घाटन किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेक्टर-23, बल्लभगढ़ में एक करोड़ रुपये व राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर-22, बल्लभगढ़ में 4 करोड़ 42 लाख रुपये की लागत से बने भवनों का उद्घाटन किया।
नायब सिंह सैनी ने ग्रामीण कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए गांव महावतपुर (भास्कोला) में यमुना नदी पर 3 करोड़ 16 लाख रुपये की लागत से बने पेंटून ब्रिज और खेड़ी गुजरां में 42 करोड़ 28 लाख रुपये की लागत से 66 केवी सब-स्टेशन का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सागरपुर बल्लभगढ़ में 3 करोड़ 31 लाख रुपये, खेड़ी कलां, फरीदाबाद में 3 करोड़ 10 लाख रुपये और सेक्टर-7 व 8, बल्लभगढ़ में 1 करोड़ 1 लाख रुपये की लागत से बनने वाले नए स्कूल भवनों का शिलान्यास किया। प्रशासनिक सुविधाओं के विस्तार हेतु बड़खल में 31 करोड़ 67 लाख रुपये की लागत से बनने वाले एस.डी.ओ. सिविल कॉम्प्लेक्स का भी मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया।
स्वास्थ्य क्षेत्र में, बी.के. अस्पताल फरीदाबाद में 161 करोड़ 11 लाख रुपये की लागत से मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल एवं सर्विस ब्लॉक और श्री अटल बिहारी वाजपेयी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, छायंसा में 21 करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से बनाए जाने वाले क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक का मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शिलान्यास किया।
मुख्यमंत्री ने खेल एवं आधारभूत संरचना विकास के तहत गांव बुखारपुर में 7 करोड़ 22 लाख रुपये की लागत से बनने वाले स्टेडियम की आधारशिला रखी। बल्लभगढ़–पाली–धौज–सोहना रोड पर 69 करोड़ 16 लाख रुपये की लागत से बनाए जाने वाले आरओबी व गांव अटाली से सेक्टर 25, फरीदाबाद तक 77 करोड़ रुपये की लागत वाली पेयजल परियोजना का भी मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया।
पृथला, तिगांव, मोहना, अटाली, बल्लभगढ़, बदशाहपुर, दलेलपुर, सरूपपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों में 17 से अधिक सड़कों के निर्माण, सुधार एवं विशेष मरम्मत कार्य के लिए 55 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया।
फरीदाबाद में आयोजित हुआ विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, 1947 के बंटवारे की त्रासदी में शहीद पूर्वजों को दी गई श्रद्धांजलि
सामाजिक एकता के सूत्र जब टूटते हैं तो देश भी टूट जाया करते हैं- नायब सिंह सैनी
मुख्यमंत्री ने की घोषणा, विभाजन से जुड़े साहित्य और दस्तावेजों की लगेगी प्रदर्शनी
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा विभाजन विभीषिका का इतिहास
बेटियों के विवाह के बाद नाम परिवर्तन के कारण होने वाली दिक्कतें होंगी दूर, नाम में संशोधन के लिए हरियाणा सरकार करेगी विशेष प्रावधान
स्मारक के निर्माण हेतु मुख्यमंत्री ने की 51 लाख रुपये देने की घोषणा
चंडीगढ़, 14 अगस्त – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने आज फरीदाबाद में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में 1947 के भारत विभाजन की भीषण त्रासदी का स्मरण करते हुए लाखों विस्थापित परिवारों की पीड़ा और संघर्ष को नमन किया। इस मौके पर उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि विभाजन से संबंधित साहित्य एवं दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी ताकि लोगों को विभाजन के बारे में जानकारी मिल सके। साथ ही, विभाजन विभीषिका के विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, ताकि हमारे पूर्वजों ने जो अत्याचार सहे उनकी जानकारी आने वाली पीढ़ियों को मिल सके।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक परंपराओं के कारण बेटियों की शादी के बाद उनका नाम बदल दिया जाता है और दस्तावेजों में नाम बदलने के कारण दिक्कतें आती हैं, इसके लिए हरियाणा सरकार द्वारा नाम में संशोधन करने के लिए एक विशेष प्रावधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कुरुक्षेत्र में विभाजन विभीषिका स्मृति स्मारक के निर्माण के लिए अपने ऐच्छिक कोष से 51 लाख रुपये देने की घोषणा की। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने विभाजन का दंश झेलने वाले पूर्वजों को सम्मान देते हुए प्रतीकात्मक रूप से सरदार मोहर सिंह भाटिया, जो विभाजन के समय सिर्फ 7 साल के थे, उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने विभाजन की विभीषिका में जान गंवाने वाले पूर्वजों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह दिन हमें वर्ष 1947 के उस भयानक समय की याद दिलाता है, जब भारत का विभाजन हुआ था। इस विभाजन ने न केवल देश को दो टुकड़ों में बांटा, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन में एक गहरा और दर्दनाक अध्याय भी लिख दिया। उनकी पीड़ा से आहत होकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बंटवारे को 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी कहा। उन्होंने 15 अगस्त, 2021 को स्वतंत्रता दिवस पर आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ करते हुए इस विभाजन में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाने की घोषणा की थी।
देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता
नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा की इस भूमि ने बंटवारे के दर्द को कुछ अधिक ही सहन किया है। यहां से अनेक परिवार पाकिस्तान तो गए ही, उस समय के पश्चिमी पंजाब से उजड़कर आने वाले परिवारों की संख्या भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। बेशक आज देश बहुत आगे बढ़ गया है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा कि फरीदाबाद शहर उस त्रासदी का जीता-जागता प्रमाण है। जब देश का बंटवारा हुआ, तो लाखों लोग अपना सब कुछ छोड़कर यहां आए थे। ये वे लोग थे, जिन्होंने अपने घर-बार, अपनी ज़मीनें और अपनी विरासत खो दी थीं। उनके सामने एक अनिश्चित भविष्य था, लेकिन उनके हौसले बुलंद थे। फरीदाबाद को उनके पुनर्वास के लिए एक नया शहर बनाने का निर्णय लिया गया। यह सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि आशा की एक नई किरण थी। विस्थापित लोगों ने अपनी मेहनत और लगन से इस शहर को खड़ा किया। उन्होंने न केवल अपने लिए एक नया शहर बनाया, बल्कि इस शहर को हरियाणा का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र भी बना दिया।
उन्होंने कहा कि देश के विभाजन की विभीषिका के पीड़ित लोगों की याद में फरीदाबाद के बड़खल में एक स्मारक बनाया गया है। प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी विभाजन विभीषिका स्मारक बनाए जा रहे हैं। कुरुक्षेत्र के मसाना गांव में विश्व स्तरीय शहीदी स्मारक बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आज का यह दिन दुख और शोक मनाने का दिन तो है ही, बल्कि यह हमें सीख भी देता है कि हमें अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना है। हमें उन गलतियों से सीखना होगा, जिन्होंने इतनी बड़ी त्रासदी को जन्म दिया। हमारे लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि धर्म, जाति और भाषा के नाम पर नफरत फैलाना कितना खतरनाक हो सकता है।
सामाजिक एकता के सूत्र जब टूटते हैं तो देश भी टूट जाया करते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत मां के सपूतों ने किसी का भय नहीं माना, किसी लालच में नहीं आए और अपने देश, धर्म व स्वाभिमान को तरजीह देते हुए दर-दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया। भूखे-प्यासे खाली हाथ मेहनत की और फिर से अपने आशियाने बसाए। उन्होंने कहा कि उन परिवारों ने और उनकी नई पीढ़ियों ने हरियाणा के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। आज हम जो ‘विकसित हरियाणा’ देख रहे हैं, इसे बनाने में उन मेहनतकश लोगों द्वारा बहाए गए पसीने का बड़ा योगदान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन हमें भाईचारे का संदेश देता है। यह दिन हमें याद दिलाता रहेगा कि सामाजिक एकता के सूत्र जब टूटते हैं तो देश भी टूट जाया करते हैं। उन्होंने अपील की कि उस त्रासदी से सबक लेते हुए प्रेम, प्यार और भाईचारे को मजबूत करने का संकल्प लें। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम एक ऐसे हरियाणा और एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जहां भाईचारा, शांति और सद्भाव सर्वोच्च हो। हम आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसा समाज देंगे, जो एकजुटता और मानवता की मिसाल पेश करेगा।
कांग्रेस ने वीरों की शहादत को भुला दिया, विभाजन की विभीषिका ने लाखों लोगों के जीवन को झकझोर दिया – केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल
कार्यक्रम में केंद्रीय बिजली, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी से पहले देश का विभाजन होना एक ऐसी घटना थी, जिसने लाखों लोगों के जीवन को झकझोर दिया। उन्होंने कहा कि उस दौर में लोग जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि देश प्रेम और अपने धर्म पर अडिग रहने के लिए यहां आए थे। वहां धर्म बदलकर जान, ज़मीन-जायदाद सब बच सकती थी, लेकिन उन्होंने यह रास्ता नहीं चुना। उस समय भी कहा जाता था कि आज़ादी भले देर से मिले लेकिन विभाजन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो परिवार पश्चिमी पंजाब से आए थे, तब तो पाकिस्तान बना भी नहीं था, फिर भी उन परिवारों को ‘पाकिस्तानी’ और ‘रिफ्यूजी’ कहा जाता था।
उन्होंने कहा कि जब उस दौर में विस्थापितों को आरक्षण देने का प्रस्ताव आया, तो समाज ने एकजुट होकर कहा कि उन्हें आरक्षण नहीं चाहिए। उन लोगों ने व्यापार, शिक्षा और सामाजिक उत्थान में मेहनत और पुरुषार्थ के साथ प्रगति की। हमारी पहचान भारतीय नागरिक के रूप में है और प्रदेश के रूप में हम हरियाणवी हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि आजादी में अनेक वीरों का योगदान रहा। कांग्रेस ने उस समय शहादत को याद करने की बजाय सब भूल जाना उचित समझा। कांग्रेस के परिवारवाद पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि यह इंदिरा गांधी के समय में शुरू हुआ, जिन्होंने लोकतंत्र की हत्या करते हुए आपातकाल लगाया। आज देश की जनता कांग्रेस को समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि जनता ने बीजेपी को विकल्प के रूप में चुना और 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, जो एक साधारण परिवार से हैं, उनको देश की कमान सौंपी। इसी तरह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर लोकतंत्र का सम्मान किया गया। वोट की चोरी के आरोपों पर उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि यह तो ‘चोर मचाए शोर’ की स्थिति है।
विभाजन के जिम्मेदार लोगों को न माफ करें, न भूलें – केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री
कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले पूरा देश आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहे हैं। 14 अगस्त 1947 की उस काली रात को कौन भुला सकता है। जिन्ना और नेहरू की प्रधानमंत्री बनने की लालसा और मुस्लिम लीग के धर्म के आधार पर देश बनाने की जिद ने भारत का बंटवारा कर दिया। लोगों को अपना घर बार छोड़ने के लिए मजबूर किया। महिलाओं की अस्मिता से खिलवाड़ किया गया। निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया गया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उस विभाजन के दिन को आने वाली पीढ़ियों को बताने के लिए इस दिवस को मनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने सबसे पहले देश में इस दिवस को मनाने का काम हरियाणा में प्रारंभ किया।
उन्होंने कहा कि तब भी कुर्सी की लालसा कांग्रेस को थी, इस देश का बंटवारा किया और आज भी कुर्सी के कारण पूरी दुनिया में भारत की सेना को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को तब भी देश के लोगों पर विश्वास नहीं था। आज भी देश की चुनी हुई सरकार पर, सेना पर, न्यायालयों पर, संविधान पर और न ही संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा है। ये लोग पूरी दुनिया में भारत के लोगों को और सेना को बदनाम करने के काम कर रहे हैं।
1947 का विभाजन मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी – डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा
हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर 1947 के विभाजन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले लाखों लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 1947 का विभाजन मानव इतिहास की सबसे भीषण त्रासदियों में से एक था, जिसमें लगभग 10 से 12 लाख लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। लाखों परिवार उजड़ गए, माताओं-बहनों की अस्मिता की रक्षा हेतु स्वजन ने स्वयं बलिदान दिया, और ट्रेनें लाशों से भरी हुई सीमाओं पर पहुँचीं। उन्होंने कहा कि उस दौर का दर्द आज भी पीढ़ियों की स्मृतियों में जिंदा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की उस समय की सत्ता-लालसा ने देश को विभाजन की आग में झोंक दिया। सीमाओं पर खींची गई लकीरों ने इंसानियत को मजहब और सरहद के नाम पर बाँट दिया। यह बंटवारा केवल भूगोल का नहीं, दिलों का भी था।
डॉ. मिड्ढा ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने 2021 में लाल किले की प्राचीर से घोषणा कर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को औपचारिक घोषणा की थी, ताकि देश इस बलिदान को याद रख सके और पीढ़ियों को उस त्रासदी से सीख लेने का अवसर मिले।
भावी पीढ़ी को बताना जरूरी कि देश का विभाजन क्यों और किसके कारण हुआ – मोहन लाल कौशिक
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री मोहन लाल कौशिक ने कहा कि विभाजन की विभीषिका इतनी भयानक थी कि अनगिनत लोग अत्याचारों के शिकार हुए और अनेक लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। आज हम उन सभी शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने उस समय बलिदान दिया। यह अवसर हमें आज़ादी के 75 वर्षों के बाद मिला, जब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की, ताकि उन सभी शहीदों को याद किया जा सके और आने वाली पीढ़ी को इन स्मृतियों से अवगत करवा सकें।
उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी यह समझे कि विभाजन क्यों हुआ और किसके कारण हुआ। इस विभाजन की सबसे बड़ी जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी थी, जो आज भी लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
विभाजन विभीषिका की स्मृतियों को संजोने में पंचनद ट्रस्ट की भूमिका अतुलनीय – सुभाष सुधा
पंचनद स्मारक ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुभाष सुधा ने कहा कि भारत के विभाजन के समय अपने प्राणों की आहुति देने वाले लगभग 10 लाख लोगों की स्मृति में समाज का योगदान और उनकी बलिदानी गाथा सदैव प्रेरणास्रोत रहेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 से ही ट्रस्ट ने विभाजन के पीड़ितों की स्मृतियों को संजोने का प्रयास आरंभ किया और एक भव्य संग्रहालय (म्यूजियम) की स्थापना का संकल्प लिया।
उन्होंने कहा कि इस स्मारक और संग्रहालय के माध्यम से आने वाली पीढ़ियां विभाजन की पीड़ा और बलिदान की गाथा को जान सकेंगी और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का स्मरण कर सकेंगी।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने विभाजन के समय अपने धर्म और आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए कठिन परिस्थितियों में जीवन के पुनर्निर्माण का मार्ग चुना। उन्होंने कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया, बल्कि मेहनत-मजदूरी कर अपना भविष्य बनाया। यही हमारी असली पहचान है।
कार्यक्रम में पंचनद स्मारक ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी धर्मदेव, कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार, विपुल गोयल, डॉ. अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, श्रुति चौधरी, राज्य मंत्री राजेश नागर, गौरव गौतम, विधायक मूलचंद शर्मा, सतीश फागना, बिमला चौधरी, दिनेश अदलखा, श्री विनोद भ्याणा और लक्ष्मण यादव सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
हरियाणा में बाल भिक्षावृत्ति पर लगेगा अंकुश
प्रदेश ने SMILE योजना के तहत बचाव व पुनर्वास अभियान किया शुरू
चंडीगढ़, 14 अगस्त– हरियाणा के महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल ने प्रदेश में संगठित बाल भिक्षावृत्ति पर कड़ा संज्ञान लेते हुए राज्यस्तरीय अंतर-विभागीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें पुलिस, बाल संरक्षण, स्वास्थ्य, श्रम और सामाजिक कल्याण विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और बाल भिक्षावृत्ति के मूल कारणों को समाप्त करने और इसे जड़ से मिटाने के लिए रोडमैप तैयार किया गया।
जिसके तहत हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (HSCPCR) ने केंद्र सरकार की SMILE योजना (Support for Marginalised Individuals for Livelihood and Enterprise) के तहत एक राज्य समर्थित बचाव और पुनर्वास पहल शुरू कर दी है।
बैठक में जानकारी दी गई कि बाल भिक्षावृत्ति केवल गरीबी का परिणाम नहीं है बल्कि कई मामलों में यह एक संगठित आपराधिक पेशा बनकर उभरा है, जिसमें बच्चों को गिरोहों, मानव तस्करों या यहां तक कि रिश्तेदारों द्वारा पैसों के लिए सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है। भिक्षावृत्ति बच्चों को शिक्षा से वंचित करता है और उनक शोषण भी होता है और उन्हें जीवन भर असुरक्षा के चक्र में फंसा देती है।
पायलट प्रोजेक्ट होगा तीन चरणों में, तोड़ा जाएगा भिक्षावृत्ति का चक्रव्यूह
पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिला प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और सरकारी संगठनों के द्वारा संयुक्त रूप से प्रारंभ में भिक्षावृत्ति हॉटस्पॉट जैसे कि ट्रैफिक लाइट, धार्मिक स्थल और बाजार का सर्वे किया जाएगा।
इसके बाद बाल भिक्षुकों की गणना और अनाथ, परित्यक्त या बिना पारिवारिक सहयोग वाले बच्चों की पहचान की जाएगी।
दूसरे चरण में जिला टास्क फोर्स द्वारा तत्काल आश्रय की आवश्यकता वाले बच्चों का बचाव किया जाएगा और कानूनी संरक्षण के लिए मामलों को बाल कल्याण समिति को भेजा जाएगा।
उसके बाद किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर व्यक्तिगत पुनर्वास योजना बनाई जाएगी।
तीसरे चरण में पुनः शोषण और मानव तस्करी को रोकने पर फोकस रहेगा, जिसमें पुनर्वासित बच्चों की नियमित निगरानी की जाएगी। उनकी शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और जहां संभव हो, पारिवारिक पुनर्मिलन के प्रयास किए जाएंगे।
बैठक में इस बात पर गंभीरता से चर्चा की गई कि कई शहरों में भिक्षावृत्ति एक सुव्यवस्थित रैकेट के रूप में चलती है, जिसमें बच्चों का आय के स्रोत के रूप में शोषण होता है। यह पायलट प्रोजेक्ट न केवल बच्चों को सड़कों से हटाने पर बल्कि पुलिस कार्रवाई, खुफिया सूचना साझाकरण और समन्वित फॉलो-अप के माध्यम से इन आपराधिक नेटवर्क को तोड़ने पर केंद्रित रहेगा।
बैठक में बताया गया कि बाल भिक्षावृत्ति मासूमियत का शोषण और मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हरियाणा इसे बचाव, पुनर्वास और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के जरिए खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री सुधीर राजपाल ने अगली बैठक 15 दिनों में बुलाने के निर्देश दिए, जिसमें आज की बैठक के बाद विभागों द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी और इस मॉडल को अमलीजामा पहनाया जाएगा।