चंडीगढ़ के बिजली विभाग के Privatization पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, अपने आदेशों में किया साफ़
यू.टी. पॉवर मैन यूनियन ने कहा था की पिछले आदेशों से साफ़ नहीं हुआ की रोक लगाई है या नहीं
हाईकोर्ट ने वीरवार को यह साफ़ कर दिया है कि चंडीगढ़ के बिजली विभाग की Privatization पर पिछली सुनवाई पर ही रोक लगाई जा चुकी है। हाईकोर्ट ने यह इसलिए कहा कि यु.टी. पॉवर मैन यूनियन ने वीरवार को अर्जी दाखिल कर कहा था कि उन्हें पिछले आदेशों से यह साफ़ नहीं हो पाया है कि चंडीगढ़ के बिजली विभाग की Privatization की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाई है या सिर्फ Transaction Adviser की नियुक्ति करने पर रोक लगाई गई है।
इस पर हाईकोर्ट ने वीरवार को साफ़ कर दिया है कि पूरी Privatization प्रक्रिया पर ही रोक लगाई गई है। वीरवार को हाईकोर्ट द्वारा अपने पिछले आदेशों को साफ़ किए जाने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन को करारा झटका लगा है। इससे पहले भी हाईकोर्ट ने पिछले साल 1 दिसम्बर को चंडीगढ़ के बिजली विभाग के Privatization पर रोक लगा दी थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को रोक के आदेशों को रद्द करते हुए हाईकोर्ट को इस मसले का तीन महीनों में फैसला करने के आदेश दे दिए थे। इसके बाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार 3 महीनों में इस मामले का फैसला नहीं हो पाया है, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग के Privatization की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। इस पर हाईकोर्ट ने अब फिर इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।