
पानी के मुद्दे पर कांग्रेस के दोहरे रवैये को लेकर ‘आप’ का हमला, लगाया सियासी अवसरवाद का आरोप
हरियाणा और पंजाब के कांग्रेस नेता आम आदमी पार्टी पर हमला करने से पहले अपने आपसी मतभेद सुलझाएं – मलविंदर कंग
आप सरकार पंजाब के जल अधिकारों का अब और हनन नहीं होने देगी : कंग
चंडीगढ़, 4 मई
आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और सांसद मलविंदर सिंह कंग ने बीबीएमबी के पानी के मुद्दे पर केंद्र और हरियाणा सरकार की सख्त आलोचना की एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों पर पंजाब को पानी से वंचित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
रविवार को पार्टी कार्यालय चंडीगढ़ में आप प्रवक्ता गगनदीप सिंह और रंजीत सिंह के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कंग ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को घेरा कहा कि पंजाब के खिलाफ कांग्रेस ने जो अन्याय किया है अब भाजपा की केंद्र सरकार उसे और आगे बढ़ा रही है।
कंग ने कहा, “भाजपा और कांग्रेस दोनों का पंजाब के पानी को लूटने का पुराना इतिहास रहा है। आज ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने आप और भाजपा पर पानी के मुद्दे पर मिलीभगत का आरोप लगाया है, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। हकीकत ये है कि कांग्रेस ने पंजाब के पानी के दोहन की नींव रखी थी और भाजपा की सरकार उसे को जारी रखे हुए है।
कंग ने कांग्रेस की दोहरी नीति की आलोचना की तथा पंजाब व हरियाणा कांग्रेस नेताओं के विरोधाभासी रुख को उजागर किया। उन्होंने कहा कि सुरजेवाला को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि पंजाब कांग्रेस सही है या हरियाणा कांग्रेस। पंजाब में सर्वदलीय बैठक के दौरान कांग्रेस नेताओं ने सीएम भगवंत मान के इस रुख का समर्थन किया था कि पंजाब अपने हिस्से के पानी को लेकर किसी भी तरह की जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं सुरजेवाला ने आज उल्टे पंजाब पर ही गलत करने का आरोप लगा दिया और हरियाणा सरकार के कुप्रबंधन व पानी की अधिक खपत को सही ठहराया है।
कंग ने इंदिरा गांधी के काल से लेकर पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों द्वारा एसवाईएल नहर की आधारशिला रखे जाने तक कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई गलतियों को बताया और कहा, “कांग्रेस की विरासत पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने पर आधारित है और भाजपा ने अब इस एजेंडे को और तेज कर दिया है।”
कंग ने पंजाब के जल अधिकारों की रक्षा और सिंचाई की बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रशंसा की। कंग ने कहा, “पिछली सरकारों के तहत नहर प्रणाली के माध्यम से पंजाब की सिंचाई क्षमता 25 प्रतिशत थी, जबकि आज यह 60 प्रतिशत से अधिक हो गई है। दशकों से, पंजाब के भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया, जिससे कई क्षेत्र डार्क जोन में चले गए है, लेकिन मान सरकार ने इस प्रवृत्ति को उलट दिया है।”
उन्होंने कहा कि पंजाब ने पानी का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया है तथा अपने आवंटित हिस्से का 11 प्रतिशत बचाया है, जबकि हरियाणा ने अपने आवंटित हिस्से से 30 प्रतिशत अधिक पानी इस्तेमाल कर लिया है। कंग ने हरियाणा के कुप्रबंधन की आलोचना की और हरियाणा कांग्रेस से आग्रह किया कि वह पंजाब को निशाना बनाने के बजाय भाजपा और हरियाणा सरकार को जवाबदेह ठहराए।
कंग ने केंद्र सरकार के दबाव में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा अपनाई गई तानाशाही रणनीति की निंदा की और कहा, “पंजाब की बीबीएमबी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है, फिर भी केंद्र सरकार ने एकतरफा तरीके से प्रमुख अधिकारियों का तबादला करके हमें दरकिनार कर दिया। यह शासन नहीं बल्कि तानाशाही और गुंडागर्दी है। केंद्र की भाजपा सरकार हरियाणा के साथ मिलीभगत करके पंजाब को पानी का अपना उचित हिस्सा छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है। लेकिन इस तरह की जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
कंग ने मानवीय मूल्यों के प्रति पंजाब की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “पंजाब ने उदारतापूर्वक हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पेयजल उपलब्ध कराया है, जबकि उन्हें केवल 1,700 क्यूसेक की आवश्यकता थी। हम गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और भाई कन्हैया जी की मानवता की विरासत के उत्तराधिकारी हैं। लेकिन अगर हरियाणा दबाव और धमकी के माध्यम से अधिक पानी की मांग करता है, तो पंजाब इसका दृढ़ता से विरोध करेगा।”
कंग ने सुरजेवाला की इस टिप्पणी की आलोचना की कि पंजाब बीबीएमबी पर शर्तें थोप रहा है। उन्होंने कहा, “सुरजेवाला ने केंद्र सरकार के कार्यों को भी उचित ठहराया, जबकि पंजाब में सर्वदलीय बैठक में जल अधिकारों की रक्षा के लिए सीएम मान के रुख को सभी पार्टियों से समर्थन मिला। इसलिए सुरजेवाला को बेबुनियाद आरोप लगाने से पहले अपनी पार्टी के भीतर स्पष्टता करनी चाहिए।”
कंग ने पंजाब के हितों की रक्षा के लिए आप की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “कई दशकों से कांग्रेस, भाजपा और अकाली सरकारों ने अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पंजाब के अधिकारों के साथ समझौता किया लेकिन, मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार पंजाब के जल अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है। पंजाब के पानी पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और इसे कमजोर करने के किसी भी प्रयास का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।”