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हरियाणा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए, राज्य मंत्रिमंडल ने हरियाणा उद्यम संवर्धन (संशोधन) नियम, 2021 को दी मंजूरी अब एमएसएमई को 15 दिनों के भीतर सभी आवश्यक व्यावसायिक मंजूरी दी जाएगी

हरियाणा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए, राज्य मंत्रिमंडल ने हरियाणा उद्यम संवर्धन (संशोधन) नियम, 2021 को दी मंजूरी
अब एमएसएमई को 15 दिनों के भीतर सभी आवश्यक व्यावसायिक मंजूरी दी जाएगी

चण्डीगढ़, 6 मई – हरियाणा में निवेशकों पर नियमतीकरण भार को कम करने और कारोबार की सहुलियत को और बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा उद्यम और रोजगार नीति (एचईईपी)-2020 में प्रस्तावित सुधारों के कार्यान्वयन के लिए हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन (संशोधन) नियम, 2021 को को स्वीकृति प्रदान की गई।
राज्य सरकार ने एक ईको सिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) बनाने के लिए हरियाणा उद्यम संवर्धन अधिनियम, 2016 और संबंधित नियम बनाए थे, जिसमें राज्य में कारोबार की सहुलियत के लिए उद्यमों को मंजूरी और अनुमोदन देने में देरी के साथ-साथ व्यवसाय करने की लागत को कम किया गया। निवेशक एचईपीसी के ऑनलाइन पोर्टल 222.द्बठ्ठ1द्गह्यह्लद्धड्डह्म्4ड्डठ्ठड्ड.द्बठ्ठ के माध्यम से समयबद्ध तरीके से 23 से अधिक विभागों की लगभग 150 मंजूरी प्राप्त करने के लिए सामान्य आवेदन पत्र (सीएएफ) भर सकते हैं।
नीति के अध्याय 5 के तहत अनुमोदित नियमितीकरण सुधारों के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को 15 दिनों के भीतर सभी आवश्यक व्यावसायिक मंजूरी दी जाएगी, जिसके बाद एचईपीसी पोर्टल पर स्व:चालित डीम्ड क्लीयरेंस का प्रावधान होगा।
सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के बकाया भुगतान को भू-राजस्व के बकाये के रूप में वसूल करने के लिए एमएसएमई बकायों की वसूली के मामले में हरियाणा सूक्ष्म, लघु उद्यम सुविधा परिषद (एचएमएसईएफसी) के नियमों में नवम्बर, 2021 में प्रावधान किया गया था।
हरियाणा सरकार ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न मंजूरी प्राप्त करने के लिए दिशा-निर्देश देने और हैंड होल्डिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो एजेंसी के रूप में हरियाणा उद्यम संवर्धन केंद्र (एचईपीसी) की शुरुआत की है। ‘हरियाणा उद्यम और रोजगार नीति, 2020’ नामक नई औद्योगिक नीति पहली जनवरी, 2021 से 12 दिसंबर, 2025 तक प्रभावी है।

मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा एयरोस्पेस और डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी, 2022 को दी गई मंजूरी

नीति का उद्देश्य कम से कम 1 लाख अमरीकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना तथा लगभग 25 हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना

नीति में की गई अनेक वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश
चंडीगढ़, 6 मई- एयरोस्पेस एवं रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र के विकास के लिए पूर्णतय: पारिस्थितिक तंत्र सृजित करने पर बल देते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा एयरोस्पेस और डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी 2022 को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति का उद्देश्य आगामी पांच वर्षों में एक बिलियन अमरीकी डालर का निवेश आकर्षित करना तथा लगभग 25 हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित कर हरियाणा को देश के अग्रणी एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सशस्त्र बल है और रक्षा व्यय के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है तथा वर्ष 2020 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3 प्रतिशत खर्च किया है। इसलिए हरियाणा में एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन का स्वदेशीकरण करने के लिए इस नीति की आवश्यकता महससू की गई। यह नीति एयरोस्पेस व रक्षा उद्योग के लिए घरेलू परिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में भी मदद करेगी।
नीति में ऑटो घटकों और ऑटोमोबाइल विनिर्माण क्षेत्र में हरियाणा की अंतर्निहित ताकत का उपयोग करने की परिकल्पना की गई है और राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण के विभिन्न पहलुओं जैसे बुनियादी ढांचे में वृद्धि, आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन, मानव पूंजी विकास, कनेक्टिविटी को मजबूत करने आदि की भरपूर संभावना है।

इसके अतिरिक्त, नीति में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने तथा राज्य में आत्मनिर्भर भारत मिशन जैसी राष्ट्रीय पहल के साथ तालमेल बिठाते हुए एयरोस्पेस एवं रक्षा उद्योग में औद्योगिक विकास की परिकल्पना की गई है।
इस नीति के माध्यम से, हरियाणा सरकार राज्य में मानव पूंजी विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कदम जैसे पाठ्यक्रम विकास, अनुसंधान एवं नवाचार छात्रवृत्ति कार्यक्रम, एयरोस्पेस एवं रक्षा विश्वविद्यालय और फ्लाइंग स्कूल की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।

यह नीति हरियाणा में एक विश्व स्तरीय एमआरओ बनाने की आवश्यकता को भी पूरा करेगी। विमानन क्षेत्र में हो रहे विकास के मद्देनजर देश में परिचालित विमानों के लिए मेंटेनन्स, रिपेयर एंड ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। राज्य सरकार हरियाणा में मौजूदा हवाई अड्डों या नए स्थानों पर नई एमआरओ सुविधाओं की स्थापना के प्रस्तावों को सुविधाजनक और प्रोत्साहित करेगी।

यह नीति एमएसएमई क्षेत्र के विकास और इसके व्यवसाय के विकास पर विशेष जोर देती है। राज्य सरकार ने विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए कई पहल की हैं।

राज्य में एमएसएमई क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर विकास, बाजार संबंधों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, बुनियादी ढांचे व प्रौद्योगिकी तक पहुंच बढ़ाने, नियामक सरलीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर स्पोर्ट तथा वित्तीय प्रोत्साहन की परिकल्पना की गई है।

इस नीति के तहत दिए जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन

शुद्ध राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) की प्रतिपूर्ति  – एफसीआई की 125 प्रतिशत की सीमा तक डी श्रेणी के ब्लॉकों में 10 वर्षों के लिए शुद्ध एसजीएसटी की 100 प्रतिशत प्रतिपूति की जाएगी। सी श्रेणी के ब्लॉकों में 8 वर्षों के लिए शुद्ध एसजीएसटी की 75 प्रतिशत प्रतिपूति की जाएगी। बी श्रेणी के ब्लॉकों में 7 वर्षों के लिए शुद्ध एसजीएसटी की 50 प्रतिशत प्रतिपूति की जाएगी।
पूंजीगत सब्सिडी – बी, सी, और डी ब्लॉकों और हरियाणा में सभी हवाई पट्टिïयों (हिसार एयपोर्ट को छोडक़र) की 10 किलोमीटर की परिधि में, स्थायी पूंजी निवेश (एफसीआई) का 5 प्रतिशत, अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये।
एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर, हिसार और महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट हिसार (एमएएएच) के आस-पास 10 किलोमीटर की परिधि में स्थायी पूंजी निवेश (एफसीआई) का 5 प्रतिशत अधिकतम सीमा 20 करोड़ रुपये।

रोजगार सृजन सब्सिडी – बी, सी और डी ब्लॉक में 40,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन वाले सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए 48,000 रुपये प्रति वर्ष की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

स्टाम्प शुल्क प्रतिपूर्ति – बी, सी और डी ब्लॉकों में एयरोस्पेस एवं डिफेंस इकाइयां भूमि की खरीद की तारीख से 5 साल के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद बिक्री / पट्टा विलेख पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी।

बिजली शुल्क में छूट – बी, सी और डी ब्लॉक में 10 साल के लिए बिजली शुल्क में 100 प्रतिशत छूट।

मानव पूंजी विकास सहायता – उच्च शिक्षा में एविएशन / एयरोस्पेस से संबंधित कोर्स करने वाले छात्रों के लिए एक क्रेडिट गारंटी योजना की पेशकश की जाएगी।

अनुसंधान एवं विकास सहायता – राज्य में अनुसंधान और नवाचार को सुविधाजनक बनाने के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के साथ पंजीकृत इकाइयों को परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता, अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक प्रदान की जाएगी।

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अवैध रूप से उप-विभाजित भूखंडों को नियमित करने और भूखंड मालिकों को मूल रूप से आवंटित भूखंडों को तर्कसंगत रूप से उप-विभाजित करने की अनुमति देने के लिए एक पथप्रदर्शक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इसे नियमित करने की एक नीति निर्देशों को स्वीकृति प्रदान की गई।
नीति का उद्देश्य, नियोजित योजना में निर्धारित उपयोग को बदले बिना हरियाणा के नगरपालिका क्षेत्रों में स्थित नगर आयोजना योजनाओं, पुनर्वास योजनाओं, सुधार न्यास योजनाओं में भूखंड के अवैध उप-विभाजन को विनियमित करने एवं आवासीय भूखंडों के उप-विभाजन की अनुमति के लिए दिशानिर्देश और मानदंड जारी करना है।
नीति के तहत केवल 1980 से पहले की नियोजित योजना में स्थित भूखंडों के नियमितीकरण और उप-विभाजन पर विचार किया जाएगा।
नियमितीकरण एवं नये उप-विभाजन के लिए पात्र न्यूनतम भूखण्ड का आकार 200 वर्ग मीटर होगा। उप-विभाजित भूखंड का आकार 100 वर्ग मीटर से कम नहीं होगा।
मूल लेआउट में दर्शाई गई सडक़ से उप-विभाजित प्लॉट तक पहुंच होनी चाहिए। ऐसे सभी उप-विभाजित भूखंडों में हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017 के पार्किंग दिशानिर्देशों के अनुसार भूखंड के भीतर पार्किंग प्रावधान होने चाहिएं।
नीति के अनुसार, 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से प्रतिभूति शुल्क लिया जाएगा। अवैध रूप से उप-विभाजित प्लाट और उप-विभाजन के नियमितीकरण हेतु नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग द्वारा समय-समय पर अधिसूचित (आवासीय प्लाट हेतु) लाइसैंस फीस के 1.5 गुणा की दर से लाइसैंस फीस ली जाएगी। नए उप-विभाजन के लिए नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग द्वारा अधिसूचित लाइसेंस फीस (आवासीय प्लॉट) लागू होगी।
नियोजित योजना में भूखंडों को निवासियों द्वारा उनकी आवश्यकता के अनुसार अवैध रूप से उप-विभाजित किया गया है। आगे पारिवारिक विभाजन के कारण भूखंडों को अवैध रूप से उप-विभाजित किया गया था क्योंकि ऐसी कोई नीति नहीं है जो नियोजित योजना में उप-विभाजन की अनुमति देती हो।
ऐसे अवैध रूप से उप-विभाजित भूखंडों के मालिक अपनी भवन योजना को अपनी संबंधित नगर पालिकाओं से अनुमोदित नहीं करवा सकते हैं। वे लागू उपनियमों, संहिताओं  का उल्लंघन करके अवैध ढांचों का निर्माण कर रहे हैं। अत: हरियाणा के नगरपालिका क्षेत्र में नगर आयोजना योजना, पुनर्वास योजना, सुधार न्यास योजना में स्थित प्लाटों के अवैध उप-विभाजन के नियमितीकरण और भूखण्डों के नये उप-विभाजन के लिए नीति को स्वीकृति प्रदान की गयी है।

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