SGPC के चुनावों में सहजधारी सिखों का मताधिकार मामले में हाईकोर्ट ने SGPC से किया जवाब तलब
सहजधारी सिख पार्टी ने SGPC चुनावों में सहजधारी सिखों के मताधिकार ख़त्म करने के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल की है याचिका
केंद्र सरकार ने SGPC चुनावों में सहजधारी सिखों के मताधिकार को ख़त्म करने के लिए सिख गुरुद्वारा एक्ट में जो संशोधन किया है, उसे सहजधारी सिख पार्टी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रद्द किये जाने की मांग कर दी है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में अब SGPC से जवाब मांगा है, हाईकोर्ट में यह याचिका 2017 से पेंडिंग है। हाईकोर्ट ने सितंबर 2019 में SGPC से मामले में चार हफ़्तों में जवाब दिए जाने के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक SGPC ने इस मामले में अपना जवाब ही दाखिल नहीं किया है। अब हाईकोर्ट ने SGPC को 7 सितंबर तक अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दे दिए हैं।
सहजधारी सिख पार्टी के अध्यक्ष परमजीत सिंह रानू ने यह याचिका दाखिल की है और हाईकोर्ट को बताया है कि 1925 में सिख गुरुद्वारा एक्ट बनाया गया था। 1944 में एक्ट में संशोधन कर इसमें सहजधारी सिख शब्द को शामिल कर लिया गया, लेकिन 2003 में बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए ही केंद्र सरकार ने एक्ट में से सहजधारी शब्द को अलग करते नोटिफिकेशन जारी कर SGPC के चुनावों में सहजधारी सिखों का मताधिकार ख़त्म कर दिया।
हाईकोर्ट ने दिसंबर 2011 को केंद्र सरकार की इस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2016 में फिर एक्ट में संशोधन कर सहजधारी सिखों के मताधिकार को ख़त्म कर दिया। इसी संशोधन को सहजधारी सिख पार्टी ने 2017 में हाईकोर्ट में PIL दाखिल कर रद्द किए जाने की मांग कर दी थी, जिस पर अब हाईकोर्ट ने SGPC से जवाब तलब किया है।