विधायकों के बच्चों को सरकारी नौकरी देने के मामले में पंजाब के मुख्य सचिव को भेजा लीगल नोटिस
एडवोकेट एच.पी.एस. ईशर ने कहा, शहीदों के बच्चों को देरी की आड़ में नहीं दी नौकरी, विधायकों के बच्चों को 37 सालों बाद दी नौकरी
पंजाब सरकार द्वारा दो विधायकों के सरकारी नौकरी देने के मामले में हर नए दिन रोष बढ़ता ही जा रहा है। अब हाईकोर्ट के एडवोकेट एच.पी.एस. ईशर ने इस मामले में पंजाब के मुख्य सचिव को लीगल नोटिस भेजा 1995 में शहीद हुए हरभजन सिंह के बेटे को एक महीने में सरकारी नौकरी देने की मांग कर दी है। सरकार ने 2017 में शहीद के बेटे को अनुकम्पा के आधार पर सरकारी नौकरी देने से सिर्फ इसी लिए इंकार कर दिया था कि उनका आवेदन देरी से आया है।
एडवोकेट ईशर का कहना हैं कि जब दो विधायकों के बच्चों को 37 वर्षों बाद अनुकम्पा के आधार पर नौकरी दी सकती है कि तो ऐसे कई शहीद हैं, पंजाब में जिन्होंने देश के लिए क़ुरबानी है तो उनके बच्चों को भी इसी आधार पर नौकरी क्यों नहीं दी जा सकती, उन सभी को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। एडविकेट ईशर ने भेजे लीगल नोटिस में कहा है कि आम लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर विधायकों के बच्चों पर सरकार की मेहरबानी सही नहीं है। एक शहीद जिसकी शहादत के बाद उसका परिवार बेहद मुश्किलों में आ जाता हैm उसके बच्चों को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी दी जानी चाहिए। नाकि उन विधायकों के बच्चों को जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद ही मजबूत है और वह करोड़पति हैं।
एडवोकेट ईशर ने इस लीगल नोटिस की कॉपी मुख्यमंत्री, डिफेन्स सर्विस वेलफेयर विभाग के प्रधान सचिव और निदेशक को भेजते हुए शहीद हरभजन सिंह के बेटे को एक महीने में नौकरी दिए जाने की मांग की है और कहा है कि अगर सरकार उनके इस लीगल नोटिस पर एक महीन में कार्रवाई नहीं करती है तो वह राजनैतिक तौर पर दो विधायकों के बच्चों को दी गई सरकारी नौकरी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।