कुछ दिन साथ रहने भर से प्रेमी जोड़े का लिव इन रिलेशन में रहने का दावा सही नहीं माना जा सकता: हाईकोर्ट
लिव इन रिलेशन को लेकर हाईकोर्ट ने एक बेहद ही अहम टिपणी करते हुए कहा है कि महज कुछ दिन साथ रहने भर से लिव इन रिलेशन के दावे को सही नहीं माना जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशन को चाहे कानून में भी अब जगह दी जा रही है, लेकिन लिव इन रिलेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई आधार तय किए हैं, जिसमे लिव इन रिलेशन की अवधि, एक दसूरे के प्रति जिम्मेदारी और सामाजिक और आर्थिक कई पहलुओं को देखा जाना जरुरी है। इसलिए अब यह साफ है कि महज कुछ दिन दो बालिग साथ रहने भर से यह दावा नहीं कर सके हैं कि उनका रिश्ता सही है। हाईकोर्ट ने एक प्रेमी जोड़ा जो लिव इन रिलेशन में सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंचा था उसकी याचिका को ख़ारिज करते हुए यह टिपण्णी की है। इस प्रेमी जोड़े में लड़का और लड़की अभी दोनों ही नाबालिग थे।
हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों सामाजिक मूल्यों में बदलाव को देखा जा रहा है। खासतौर पर युवाओं में देखा जा रहा है कि वह अब पूर्ण स्वतंत्रता चाहते हैं और वह अपने पसंद के साथी के साथ रहने के लिए अपने माता-पिता से भी अलग होने को तैयार रहते हैं। उसके बाद अपने इस रिश्ते पर कानून की मोहर लगाने के लिए सुरक्षा की मांग को लेकर इस तरह की याचिकाएं दायर कर देते हैं। जब दो बालिग महज कुछ दिन लिव इन रिलेशन में रहते हुए इसके सही होने का दावा नहीं कर सकते हैं तो इस मामले में तो दोनों ही नाबालिग है तो कैसे इनके लिव इन रिलेशन को सुरक्षा दी जा सकती है, लिहाजा हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस को आदेश दिए हैं कि वह लड़की को उसके माता-पिता के हवाले करें।