अब 5जी अफवाहों के निशाने पर
अब 5जी अफवाहों के निशाने पर
सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार एक बार फिर गर्म है और इस बार 5जी तकनीक अफवाह फैलाने वालों के निशाने पर है। सुनियोजित तरीके से 5जी नेटवर्क के “ट्रॉयल के दौरान” रेडिएशन से लोगों की मौतों की अफवाह फैलाई जा रही है, जब की देश में अभी सिर्फ ट्रॉयल की इजाज़त मिली है और कुछ समय में ट्रॉयल शुरू होंगे। बिना तथ्य जाने, लोग इस अफवाह को सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर फॉरवर्ड कर रहे हैं। अफवाहों को फैलाने वाली कुछ कॉल रिकॉर्डिंग भी वायरल हो रही हैं ।
अफवाहों के चलते दूरसंचार टावरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। यूपी के फतेहपुर, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर ,सुल्तानपुर के कुछ गांवों में भी 5जी टावर टेस्टिंग से लोगों की मौत की अफवाहें फैलाई जा रही थी और लोगों से अपील की जा रही थी कि 5जी टावर को बंद कराएं और उसे उखाड़ फेंके, जब की ऐसा कोई टावर वहाँ था ही नहीं । घटना का संज्ञान लेते हुए यूपी पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी आयुक्तों को पत्र लिख कर अफवाहें फैलाने वालों पर कड़ी कार्यवाई का निर्देश जारी कर दिया है।
दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई ने 5जी से मौत के मामले में बयान जारी कर बताया है कि यह कोरी अफवाह है और 5जी ट्रायल को धक्का पहुंचाने के मकसद से यह अफवाह फैलाई जा रही है। भारत सरकार के पीआईबी यानी प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने भी इन अफवाहों से बचने की सलाह दी है। एक फैक्ट चैक के माध्यम से पीआईबी ने अफवाहों को तर्कों के आधार पर नकार दिया है।
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी साफ किया है की वायरस रेडियो तरंगों / मोबाइल नेटवर्क से नहीं फैल सकता है ।
बता दें कि पिछले हफ्ते ही भारत सरकार ने 5जी ट्रायल को मंजूरी दी थी। देश में 5जी मोबाइल नेटवर्क के ट्रायल में चीनी कंपनियों को मौका न मिलने से चीन खासा बेचैन है। भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों की नापाक हरकत के बाद भारत सरकार ने चीनी कंपनियों जेडटीई और हुवावे को 5जी ट्रायल से भी बाहर रखना मुनासिब समझा। साइबर वॉर एक्सपर्ट्स का मानना है अफवाहों के पीछे चीन की यह बेचैनी वजह हो सकती हैं। वजह चाहे जो भी हों पर अफवाहों से 5जी ट्रायल को धक्का न लगे इसलिए राज्य सरकारों को तुरंत कदम उठाने चाहिएं।